दिल्ली दंगा: आरोप तय करने की प्रक्रिया शुरू, सबसे अधिक आगजनी की धाराएं हटाई गईं

By विशाल कुमार | Updated: October 3, 2021 08:32 IST2021-10-03T08:29:07+5:302021-10-03T08:32:46+5:30

27 अदालती आदेशों में से 12 में आगजनी की धारा को हटा दिया गया है. इनमें से कई मामलों में एक पुलिस गवाह ने आगजनी का आरोप लगाया, जिसे अदालत ने यह कहते हुए रद्द कर दिया कि इस धारा को केवल पुलिस गवाहों के आधार पर लागू नहीं किया जा सकता है.

delhi riots-cases framing-of-charges-begins-arson-is-most-dropped-section | दिल्ली दंगा: आरोप तय करने की प्रक्रिया शुरू, सबसे अधिक आगजनी की धाराएं हटाई गईं

फाइल फोटो.

Highlightsजज विनोद यादव को मुकदमे के लिए 179 से अधिक मामले मिले हैं और 57 में आरोप तय किए हैं.आईपीसी की धारा 436 (घर को नष्ट करने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ द्वारा शरारत) सबसे ज्यादा खत्म की गई धारा है. इसमें आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा का प्रावधान है.27 अदालती आदेशों में से 12 में आगजनी की धारा को हटा दिया गया है.

नई दिल्ली: कड़कड़डूमा में विशेष रूप से दंगा मामलों की सुनवाई करने वाले दो में से एक अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) विनोद यादव को मुकदमे के लिए 179 से अधिक मामले मिले हैं और 57 में आरोप तय किए हैं.

इंडियन एक्सप्रेस ने ऐसे 27 आदेशों का विश्लेषण किया जिनमें इस साल एएसजे यादव की अदालत ने आरोप तय किए हैं.

इसमें पता चला कि आईपीसी की धारा 436 (घर को नष्ट करने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ द्वारा शरारत) सबसे ज्यादा खत्म की गई धारा है. इसमें आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा का प्रावधान है.

27 अदालती आदेशों में से 12 में आगजनी की धारा को हटा दिया गया है. इनमें से कई मामलों में एक पुलिस गवाह ने आगजनी का आरोप लगाया, जिसे अदालत ने यह कहते हुए रद्द कर दिया कि इस धारा को केवल पुलिस गवाहों के आधार पर लागू नहीं किया जा सकता है.

अदालत ने कई मामलों में यह भी नोट किया कि पुलिस एक शिकायतकर्ता के पूरक बयान को पेश करके जांच में किसी खामी को कवर करने की कोशिश कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि उसने आगजनी की घटना देखी थी. इस तथ्य के बावजूद कि उन्होंने अपने पिछले बयान में आगजनी के बारे में एक भी शब्द नहीं कहा था.

कुछ मामलों में अदालत ने अलग-अलग तारीखों की घटनाओं को जोड़ने के लिए पुलिस की खिंचाई की. उदाहरण के लिए 22 सितंबर को अदालत ने 10 व्यक्तियों के खिलाफ आगजनी की धारा को हटा दिया और देखा गया कि पुलिस ने घटनाओं को जोड़ दिया.

15 मामलों में अदालत ने आगजनी के आरोप तभी तय किए जब शिकायतकर्ता ने अपने बयान में कहा कि आगजनी हुई.

कुछ मामलों में पुलिस ने अपना मामला बनाने के लिए जलती हुई मोटरसाइकिलों के सीसीटीवी फुटेज पेश किए. हालांकि, अदालत ने इस धारा को हटा दिया क्योंकि वाहन इसके अंतर्गत नहीं आते हैं.

अभियोजन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आगजनी के मामलों में जांच में कुछ चूक हुई है. प्रभारी अधिकारी कई मामलों के बोझ तले दबे हुए थे और कभी-कभी उन्हें धारा की कानूनी समझ नहीं होती थी. एफआईआर दर्ज करने के चरण में इन मामलों को देखने के लिए कानूनी रूप से प्रशिक्षित लोगों को होना चाहिए. सवाल यह है कि क्या यह हमारी ओर से एक चूक थी या यह दुर्भावनापूर्ण था.

16 आदेशों में यह पाया गया कि पुलिस ने किसी दूसरे मामले के सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपी को गिरफ्तार किया था. 11 मामलों में पुलिस फुटेज पेश नहीं कर पाई है.

कोर्ट ने कहा कि किसी अन्य मामले के सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपी को गिरफ्तार किया जा सकता है या नहीं, इस सवाल पर सुनवाई के दौरान फैसला किया जाएगा.

ऐसे मामलों में जहां कोई फुटेज नहीं था, अदालत अभियोजन पक्ष से सहमत थी कि दंगों के दौरान लगभग हर सीसीटीवी कैमरा टूट गया था.

Web Title: delhi riots-cases framing-of-charges-begins-arson-is-most-dropped-section

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे