#KuchhPositiveKarteHain: एक सोच जिसने इस शख्स को भीड़ से बनाया अलग, आज सैकड़ों बच्चों को बना रहा है आत्मनिर्भर
By पल्लवी कुमारी | Published: August 1, 2018 03:07 PM2018-08-01T15:07:44+5:302018-08-01T15:08:37+5:30
इस शख्स का नाम है देव प्रताप सिंह। जिसने 11 साल की उम्र में किसी पारिवारिक परेशानी की वजह से घर छोड़कर स्टेशन पर रहने लगा। लेकिन देव की ये चाहत थी कि जो उनके साथ हुआ वह किसी और बच्चे के साथ ना हो।
आपने यूं तो बहुत सारे समाज सेवी संस्था और एनजीओ के बारे में सुना होगा, जिसको देश के बड़े-बड़े बिजनेस मैन या तो फिर कोई सेलेब्रिटी चलाता है। लेकिन आज जिस एनजीओ के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, उसको ना ही कोई नेता या अभिनेता चलाता है, ना ही कोई सरकारी फंड मिलता है। इस एनजीओ को चलाने वाला कोई और नहीं बल्कि एक स्टेशन और स्लम में रहकर अपना गुजारा करने वाला एक शख्स है। जिसने ना ही कोई स्कूली शिक्षा और ना ही कोई डिग्री ली। लेकिन ना जाने आज वह कितने गरीब बेसहारा बच्चों को आत्म निर्भर बनाने की तैयारी में लगा है।
इस शख्स का नाम है देव प्रताप सिंह। जिसने 11 साल की उम्र में किसी पारिवारिक परेशानी की वजह से घर छोड़कर स्टेशन पर रहने लगा। लेकिन देव की ये चाहत थी कि जो उनके साथ हुआ वह किसी और बच्चे के साथ ना हो और इसी चाहत में उन्होंने अपनी पार्टनर चांदनी खान के साथ मिलकर एक एनजीओ खोला। जिसका नाम है- voice of slum। इस एनजीओ से लगभग 500 बच्चे जुड़े हैं।
देव और चांदनी इस एनजीओ, जिसको वह एक समाजसेवी संस्था नहीं बल्कि एक सोच बताते हैं, इनकी चाहत है कि वह स्लम में रहने वाले बच्चों को मेन स्ट्रीम सोसाइटी में एंटर करा पाए। इसी सोच के साथ देव और चांदनी स्लम में रहने वाले बच्चों के विकास और शिक्षा के लिए काम कर रहे हैं। लोकमत न्यूज हिंदी अपने स्वतंत्रता दिवस के कैम्पेन #KuchhPositiveKarteHain हैं में देव और चांदनी के इस सम्पर्ण की सराहना करते हैं।
आजादी के 71 साल के बाद भी देश में देश में हिंसा, करप्शन, महिलाओं के प्रति लगातार बढ़ते अपराध देश की रंगत बदल रहे हैं। लेकिन वहीं हमारे समाज में कुछ देव औ चांदनी जैसे अच्छे लोग भी हैं, जो देश को बेहतर बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं।
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देव ने बताया कि वह और चांदनी पहले स्लम में जाकर-जाकर पढ़ाते थे। उन्होंने ऐसा दो साल किया लेकिन इसका कोई भी फायदा नहीं हो पा रहा है। स्लम के बच्चों में कोई किसी दिन पढ़ने आता तो कोई कभी उठकर चला जाता। इसलिए इन लोगों ने सोचा क्यों ना इस काम को सुचारु रूप से चलाने के लिए एक एनजीओ खोला जाए और इसी सोच के साथ इन्होंने voice of slum खोला। इस एनजीओ के लिए इन्होंने फेसबुक पेज से एक-एक रुपए चंदा मांग कर इन एनजीओ को चलाया। आज इनके एनजीओ में जितने भी बच्चे पढ़ने आते हैं, उन्हें एक अच्चे स्कूल वाला ट्रीटमेंट दिया जाता है। बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा दी जाती है। साथ ही खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा दिलवाया जाता है।
देव बताते हैं कि वह इस संस्था को आत्म निर्भर संस्था बनाना चाहते हैं ताकि यहां से जो भी बच्चे कुछ सीखकर जाए वह अपने जैसे 10 और बच्चों को भी सिखाए। इस एनजीओ के बारे में ज्यादा जानकारी के लिेए आप इनके वेबसाइट या फेसबुक पेज पर जाकर चेकइन कर सकते हैं। अगर आप इस एनजीओ की किसी भी तरीके से सहायता करना चाहते हैं तो भी कर सकते हैं। उसकी सारी जानकारियां उनके वेबाइट पर उपलब्ध है।
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