हाई कोर्ट ने दिल्ली में 17,000 पेड़ों की कटाई पर लगाई अंतरिम रोक, अगली सुनवाई 4 जुलाई को
By कोमल बड़ोदेकर | Published: June 25, 2018 01:09 PM2018-06-25T13:09:31+5:302018-06-25T13:18:35+5:30
दिल्ली में विकास के नाम पर 17 हजार पेड़ों की कटाई का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। एक ओर जहां पेड़ो की कटाई के खिलाफ आमजन सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहा है वहीं कुछ बीजेपी के कार्यकर्ता भी मोदी सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध कर रहे हैं।
नई दिल्ली, 25 जून। दिल्ली में विकास के नाम पर 17 हजार पेड़ों की कटाई का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। एक ओर जहां पेड़ो की कटाई के खिलाफ आमजन सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहा है वहीं कुछ बीजेपी के कार्यकर्ता भी मोदी सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध कर रहे हैं। मामला गर्माने के बाद कोर्ट पहुंचा जहां सोमवार को सुनवाई के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने 4 जुलाई तक पेड़ों की कटाई पर अंतरिम रोक लगा दी है।
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सुनवाई के दौरान एनबीसीसी (नेशनल बिल्डिंग्स कन्स्ट्रक्शन कार्पोरेशन) ने हाई कोर्ट में दक्षिणी दिल्ली के पुनर्विकास के लिए चार जुलाई तक पेड़ ना काटने की बात पर सहमति जताई है। वहीं पब्लिक वर्कस डिपार्टमेंट ने भी हाई कोर्ट के फैसले के बाद सुनिश्चित किया है कि वो और एनबीसीसी 4 जुलाई तक दिल्ली की 7 कॉलोनियों में कोई पेड़ नहीं काटेंगे।
Felling of trees for redevelopment of 7 colonies in South Delhi: NBCC and Central Public Works Department gave assurance to Delhi High Court that they will not cut any trees till 4th July, next date of hearing in the case.
— ANI (@ANI) June 25, 2018
बता दें कि दक्षिणी दिल्ली की सात कॉलोनियों में पुनर्विकास के लिए 17 हजार से ज्यादा पेड़ों को काटने के लिए सरकार ने आदेश दिया था जिसके बाद सिलसिलेवार तरीके से पड़ों की कटाई हो रही थी। सरकार के फैसले के खिलाफ स्थानीय लोगों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पर्यावरणविदों ने रविवार को विरोध प्रदर्शन किया।
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सरोजिनी नगर इलाके में करीब 1,500 प्रदर्शनकारियों ने पेड़ों को गले लगाकर अपने ‘चिपको आंदोलन’ की शुरुआत की। 1970 के दशक में उत्तराखंड (तत्कालीन उत्तर प्रदेश) में पेड़ों की कटाई के विरोध में लोगों ने यह आंदोलन चलाया था। लोगों ने पेड़ों को ‘राखी’ के तौर पर हरे रंग का रिबन भी बांधा। सोशल मीडिया पर इस चीज को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए वेल्फी बूथ भी बनाये गए थे।
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