दिल्ली: कोर्ट ने आतंक के मामले में आरोपी पांच लोगों को बरी किया, कहा- पाकिस्तानी नंबर से बात करना साजिश का सबूत नहीं

By विशाल कुमार | Published: May 11, 2022 11:32 AM2022-05-11T11:32:55+5:302022-05-11T11:35:50+5:30

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने मोहम्मद शाहिद, मोहम्मद राशिद, अशबुद्दीन, अब्दुल सुभान और अरशद खान को सोमवार को बरी कर दिया, जिन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की कई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे।

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दिल्ली: कोर्ट ने आतंक के मामले में आरोपी पांच लोगों को बरी किया, कहा- पाकिस्तानी नंबर से बात करना साजिश का सबूत नहीं

Highlightsमोहम्मद शाहिद, मोहम्मद राशिद, अशबुद्दीन, अब्दुल सुभान और अरशद खान सोमवार को बरी हुए।पांचों पर आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा से संबंध रखने का आरोप लगाया गया था।पांचों पर पाकिस्तान स्थित आतंकवादी जावेद बलूची के संपर्क में रहने का आरोप लगाया गया था।

नई दिल्ली:दिल्ली की एक अदालत ने आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा से संबंध रखने के आरोपी पांच लोगों को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि केवल एक पाकिस्तानी नंबर के साथ बातचीत करने वाले मोबाइल फोन और सिम कार्ड की बरामदगी आतंकवादी साजिश को साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने मोहम्मद शाहिद, मोहम्मद राशिद, अशबुद्दीन, अब्दुल सुभान और अरशद खान को सोमवार को बरी कर दिया, जिन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की कई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे।

सुभान और अशबुद्दीन को इससे पहले 2001 में सीबीआई ने गुजरात में विस्फोटकों और हथियारों की एक खेप ले जाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। 

अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि सुभान 2010 में जेल से बाहर आया था और अगले साल राजस्थान में हुए सांप्रदायिक दंगों ने जिहाद के लिए उसके जुनून को जगाया।

आरोप लगाया गया था कि सुभान ने जिहाद के लिए पैसे जुटाने के लिए एक कारोबारी को अगवा करने की योजना बनाई थी और आरोपी कथित तौर पर पाकिस्तान स्थित आतंकवादी जावेद बलूची के संपर्क में भी थे।

हालांकि, अदालत बचाव पक्ष के वकील द्वारा दी गई दलीलों से सहमत थी कि यह स्थापित करने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है कि पाकिस्तानी नंबर खूंखार आतंकवादी जावेद बलूची का है।

अदालत ने यह भी देखा कि जांच एजेंसी उसके असली नाम के बारे में निश्चित नहीं थी क्योंकि यह रिकॉर्ड से सामने आया कि अभियोजन पक्ष ने जावेद बलूची को जावेद वदिच और जावेद चौधरी के रूप में भी संदर्भित किया।

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