Delhi Arvind Kejriwal-Aditya Thackeray: सरकारें आती-जाती रहती हैं, रिश्ते बरकरार रहते, दोस्त होने के नाते केजरीवाल से मिला?, आदित्य ठाकरे ने कहा-लोकतंत्र स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 13, 2025 19:08 IST2025-02-13T14:52:16+5:302025-02-13T19:08:20+5:30

Delhi Arvind Kejriwal-Aditya Thackeray: दिल्ली में हुए हालिया विधानसभा चुनाव और विपक्षी ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) गठबंधन के भविष्य पर चर्चा की।

Delhi Arvind Kejriwal-Aditya Thackeray Shiv Sena (UBT) leader met former Delhi CM said Governments come, go and come again, but the relationship remains | Delhi Arvind Kejriwal-Aditya Thackeray: सरकारें आती-जाती रहती हैं, रिश्ते बरकरार रहते, दोस्त होने के नाते केजरीवाल से मिला?, आदित्य ठाकरे ने कहा-लोकतंत्र स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं

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Highlightsलोकतंत्र स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं है। चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं हैं।शिवसेना (उबाठा) के वरिष्ठ नेताओं संजय राउत एवं प्रियंका चतुर्वेदी समेत कई अन्य नेता थे।रिश्ते बरकरार रहते हैं। हमने दोस्त होने के नाते केजरीवाल से मुलाकात की।

Delhi Arvind Kejriwal-Aditya Thackeray:  शिवसेना (उबाठा) नेता आदित्य ठाकरे ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की हार के कुछ दिनों बाद स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव की लड़ाई को मजबूत करने के संदेश के साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की। राष्ट्रीय राजधानी के दौरे पर आए आदित्य ठाकरे ने पार्टी सांसदों से भी मुलाकात की। ऐसी खबरें हैं कि पार्टी पदाधिकारियों में असंतोष है और कुछ नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल होने की योजना बना रहे हैं।

  

ठाकरे ने बुधवार देर शाम राहुल गांधी और बृहस्पतिवार को केजरीवाल से मुलाकात की। आदित्य ठाकरे ने कहा, ‘‘क्या भाजपा और निर्वाचन आयोग के बीच कोई अंतर है?... मुझे तो यह भी नहीं पता कि मेरा वोट कहां जाता है। ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) और वीवीपैट (वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) पर अधिक स्पष्टता की आवश्यकता है।’’

केजरीवाल से मुलाकात के बाद आदित्य ठाकरे ने इसे मित्रता के नाते शिष्टाचार भेंट बताया। उन्होंने मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकारें आती-जाती रहती हैं, लेकिन रिश्ते बने रहते हैं। हमने मित्रता के नाते केजरीवाल से मुलाकात की। हालांकि, हमारा लोकतंत्र स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं है। चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं हैं।’’

  

ठाकरे के साथ पार्टी के सांसद संजय राउत, अरविंद सावंत, प्रियंका चतुर्वेदी, संजय दीना पाटिल और भाऊसाहेब वाकचौरे व अन्य नेता भी थे। महाविकास आघाड़ी (एमवीए) में शामिल कांग्रेस, शिवसेना (उबाठा) और राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने पिछले साल हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अनियमितताओं का आरोप लगाया है, जिसमें दावा किया गया है कि राज्य में कुल वयस्क आबादी से ज्यादा पंजीकृत मतदाता थे। तीनों पार्टियों ने दावा किया है कि मई में हुए लोकसभा चुनाव और नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव के बीच 39 लाख नए मतदाता जुड़े हैं।

आदित्य ठाकरे ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि लोकतंत्र है, लेकिन शायद हमसे लोकतंत्र छीन लिया गया है। यह एक दिखावटी लोकतंत्र है।’’ ठाकरे ने कहा कि विपक्षी दलों को ‘‘मतदाता और ईवीएम धांधली’’ के मुद्दे पर एकजुट होना चाहिए।

महाराष्ट्र सरकार ने कुनबी-मराठा प्रमाणपत्र से जुड़ी समिति का कार्यकाल बढ़ाया

महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) संदीप शिंदे समिति का कार्यकाल बढ़ा दिया जिसका गठन पिछली सरकार ने मराठा समुदाय के सदस्यों को ‘कुनबी’ जाति का प्रमाणपत्र जारी करने की कार्यप्रणाली तय करने के लिए किया था। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने सितंबर 2023 में समिति का गठन किया था।

एक सरकारी आदेश में कहा गया है कि इसका विस्तारित कार्यकाल 30 जून, 2025 को समाप्त होगा। छह महीने का विस्तार आदेश समिति का पिछला कार्यकाल 31 दिसंबर, 2024 को समाप्त हो जाने के 43 दिन बाद आया। मनोज जरांगे के नेतृत्व में एक आंदोलन के बाद समिति का गठन किया गया था।

आंदोलन के दौरान मांग की गई थी कि पात्र मराठों को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र प्रदान किया जाना चाहिए ताकि वे नौकरियों और शिक्षा में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण का लाभ उठा सकें। कुनबी एक कृषि आधारित समुदाय है जो ओबीसी श्रेणी में आता है। राज्य के ओबीसी नेताओं ने मराठों को इस श्रेणी में शामिल करने का विरोध किया है।

उन्हें डर है कि इसके परिणामस्वरूप उनके समुदायों के लिए उपलब्ध आरक्षण कम हो जाएगा। समिति को पूर्ववर्ती हैदराबाद और बंबई राज्यों के अभिलेखों का अध्ययन करने के लिए कहा गया था जहां मराठों का उल्लेख कभी-कभी कुनबी के रूप में किया जाता है। समिति का गठन शुरुआत में मराठवाड़ा क्षेत्र के लिए किया गया था, बाद में इसका दायरा बढ़ाकर पूरे राज्य को इसके अंतर्गत लाया गया।

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