दवा जारी होने से पहले मरीजों का विवरण भरने की वजह से उपचार में हो रहा विलंब
By भाषा | Updated: May 6, 2021 21:49 IST2021-05-06T21:49:21+5:302021-05-06T21:49:21+5:30

दवा जारी होने से पहले मरीजों का विवरण भरने की वजह से उपचार में हो रहा विलंब
नयी दिल्ली, छह मई दिल्ली उच्च न्यायालय को बृहस्पतिवार को सूचित किया गया कि अस्पतालों से कहा जा रहा है कि वे दवा जारी होने से पहले ‘रेमडेसिविर’ के वितरण पर नजर रखने के लिए बनाए गए पोर्टल पर आधार नंबर सहित मरीजों का ब्योरा भरें और इसकी वजह से मरीजों के इलाज में विलंब हो रहा है।
कोविड-19 से संबंधित मुद्दों से निपटने में न्याय मित्र के रूप में अदालत की मदद कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने कहा, ‘‘दवाओं के वितरण का विकेंद्रीकरण किए जाने की आवश्यकता है।’’
उन्होंने कहा कि अस्पतालों को मरीजों का ब्यौरा बाद में भरने का विकल्प दिया जाना चाहिए।
अदालत ने उनकी बात का संज्ञान लेते हुए कहा कि मरीजों से संबंधित प्रमाणन प्रक्रिया आरटीपीसीआर रिपोर्ट सहित अन्य दस्तावेजों से की जा सकती है और इसके लिए केवल आधार ही अत्यावश्यक नहीं है।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ से राव ने कहा कि दवा जारी होने से पहले संबंधित प्रमाणन जैसी चीजें प्रणाली में बाधा उत्पन्न करती हैं और दवाओं का वितरण त्वरित गति से किए जाने की आवश्यकता है।
पीठ ने न्याय मित्र की बात से सहमति जताई और कहा कि डॉक्टरों के पास स्टॉक में दवा होनी चाहिए और उसके लिए मंजूरी बाद में आ सकती है।
इसने यह भी कहा कि पोर्टल सिर्फ ‘रेमडेसिविर’ तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए और इसमें कोविड-19 के उपचार में काम आने वाली अन्य दवा ‘टोसिलिजुमैब’ को भी शामिल किया जाना चाहिए।
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