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मेडिकल विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही प्रत्यक्ष सुनवाई पर फैसला होगा: न्यायालय

By भाषा | Updated: January 12, 2021 20:30 IST

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नयी दिल्ली, 12 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि न्यायालय में प्रत्यक्ष सुनवाई शुरू करने के बारे में मेडिकल विशेषज्ञों की सलाह के बाद ही उचित निर्णय लिया जायेगा। मेडिकल विशेषज्ञों ने ही सलाह दी थी कि फिलहाल न्यायालय में लोगों के एकत्र होने से कोविड-19 के संक्रमण का खतरा हो सकता हैं

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मामलों की सुनवाई के दौरान आ रही समस्याओं को लेकर दायर याचिका में यह मुद्दा उठाये जाने पर कहा कि इस मामले में मेडिकल विशेषज्ञों की सलाह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम करीब एक साल से इस समस्या का सामना कर रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण मेडिकल सलाह है जो हमें प्राधिकारियों से मिली है कि न्यायालय कक्ष के भीतर एकत्र होना खतरनाक है और इससे वायरस फैल सकता है और इस वजह से जान जा सकती है।’’

सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस बारे में मेडिकल विशेषज्ञों से परामर्श के बाद न्यायालय को ही निर्णय लेना है।

मेहता ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान पीठ से कहा, ‘‘हमारे जैसे विशाल देश में अदालतों ने एक दिन के लिये भी लोगों को न्याय की पहुंच से वंचित नहीं किया है जो सराहनीय है।’’

शीर्ष अदालत पिछले साल मार्च में कोविड-19 महामारी के कारण लॉक डाउन लागू होने के समय से ही वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मुकदमों की सुनवाई कर रही है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अनेक अदालतों ने प्रत्यक्ष सुनवाई शुरू की लेकिन उन्हें इसे बंद करना पड़ा क्योंकि प्रत्यक्ष सुनवाई के लिये वकील नहीं आ रहे थें

पीठ ने कहा, ‘‘मद्रास में, वकील न्यायालय में प्रत्यक्ष सुनवाई के लिये नहीं आ रहे थे। मद्रास और राजस्थान में यह शुरू हुयी थी लेकिन इसे बंद करना पड़ा। हम मेडिकल विशेषज्ञों से सलाह के बाद उचित निर्णय करेंगे। हम स्थिति की लगातार समीक्षा कर रहे हैं।’’

महामारी के दौरान जरूरतमंद वकीलों की आर्थिक मदद के मुद्दे पर सुनवाई करते हुये शीर्ष अदालत ने सालिसीटर जनरल से कहा कि बार काउन्सिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष् और वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा सहित वकीलों के साथ बैठक करें।

पीठ ने मिश्रा से कहा कि सहयोग के लिये तैयार बार के सदस्यों से योगदान लेने की संभावना तलाशें। मिश्रा ने कहा कि बार संगठनों ने महामारी के दौरान जरूरतमंद वकीलों के लिये यथासंभव मदद की है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम आपसे धन एकत्र करने के लिये संभावना तलाशने के लिये कह रहे हैं। ऐसा नहीं है कि लोगों के पास धन नहीं है। आप उनसे बात करें कि क्या वे योगदान कर सकते हैं।’’ पीठ ने यह भी कहा, ‘‘इस संबंध में पहली जिम्मेदारी बार की है और इसके बाद सरकार की जिम्मेदारी है।’’

वकीलों के संगठन का प्रतिनिधित्व कर रहे एक वकील ने कहा कि सरकार को महामारी के दौरान जरूरतमंद वकीलों को ब्याज मुक्त कर्ज देने के लिये कहा जाना चाहिए।

पीठ ने मेहता से कहा कि वे सरकार द्वारा कर्ज उपलब्ध कराने की अपेक्षा कर रहे है जिसके लिये बार काउन्सिल गारंटी देने वाली होगी।

मेहता ने कहा कि इस मुद्दे पर आवश्यक निर्देश प्राप्त करके वह न्यायालय को अवगत करायेंगे।

सालिसीटर जनरल ने कहा कि वह इस मामले में पेश हो रहे वकीलों के साथ बैठक करके महामारी से प्रभावित वकीलों की मदद के मुद्दे पर चर्चा करेंगे।

पीठ ने कहा कि वह इस मामले में अब दो सप्ताह बाद विचार करेगी।

महामारी से प्रभावित वकीलों को कम ब्याज पर कर्ज सहित वित्तीय मदद के लिये बार काउन्सिल आफ इंडिया ने न्यायालय में याचिका दायर कर रखी है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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