नागरिकता बिल लाने से पहले विभिन्न मंत्रालयों की हुई थी बैठक, राजदूतों को करना था मित्र देशों की शंकाएं दूर

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 31, 2019 09:20 AM2019-12-31T09:20:02+5:302019-12-31T09:20:02+5:30

सूत्रों ने कहा कि विदेश मंत्रालय ने भारतीय राजदूतों से कहा कि वे दुनिया भर के 120 दूतावासों में जाकर विदेशी सरकारों को जानकारी दें।

Days before Citizenship Amendment bill tabled in House, inter-ministry meet discussed strategy | नागरिकता बिल लाने से पहले विभिन्न मंत्रालयों की हुई थी बैठक, राजदूतों को करना था मित्र देशों की शंकाएं दूर

अमित शाह-नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

Highlightsसूत्रों ने कहा कि सरकार ने महसूस किया कि मामला आतंरिक था और विधेयक संसद में विधायी प्रक्रिया और बहस से गुजरा।जी-20 देशों के एक राजदूत ने कहा कि सरकार ने कश्मीर से लेकर अयोध्या मसले तक की जानकारी दी थी लेकिन सीएए पर कोई बात नहीं की।

मोदी सरकार द्वारा संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक लाने से पहले करीब दो हफ्ते पहले नई दिल्ली में अंतर-मंत्रिस्तरीय बैठक हुई थी जिसमें प्रस्तावित कानून के नतीजों से निपटने की रणनीति पर चर्चा हुई। सूत्रों के अनुसार ये बैठक नवंबर के अंत में आयोजित की गई थी। इसमें विदेश मंत्रालय भी शामिल था। विदेश मंत्रालय ने अंतराष्ट्रीय आयामों से निपटने के लिए अपनी रणनीति बनाई थी। 

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार, इस विधेयक के पारित होने के बाद, सूत्रों ने कहा कि विदेश मंत्रालय ने भारतीय राजदूतों से कहा कि वे दुनिया भर के 120 दूतावासों में जाकर विदेशी सरकारों को जानकारी दें। हर भारतीय राजदूत को कानून और कानून के पीछे तर्क के बारे में सभी तथ्य भेजे गए थे। यह रणनीति पिछले अवसरों से अपनाए गए तरीकों से अलग थी।

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने विदेशी राजदूतों को पुलवामा हमला, बालाकोट एयर स्ट्राइक, जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 का हटाया जाना और यहां तक अयोध्या मंदिर पर भी ब्रीफिंग दी थी। लेकिन नागरिकता संशोधन कानून और इसकी जटिलताओं पर कोई बात नहीं की है। सरकार के एक सूत्र ने कहा, "इस बार हमें लगा कि भारत के राजदूत अच्छा काम कर पाएंगे और वे सभी सवालों का जवाब दे सकते हैं।"

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने महसूस किया कि मामला आतंरिक था और विधेयक संसद में विधायी प्रक्रिया और बहस से गुजरा। एक सूत्र ने कहा, "संसद के दोनों सदनों ने पूरे दो दिनों तक इस मामले पर बहस की और गृह मंत्री अमित शाह ने सांसदों द्वारा उठाए गए चिंता के सभी बिंदुओं पर जवाब दिया।" सूत्रों ने अमेरिका में भारत के राजदूत हर्षवर्धन श्रृंगला के उदाहरण का हवाला दिया जिन्होंने वाशिंगटन में प्रमुख वार्ताकारों को सूचित किया था। राजनयिकों ने कहा कि कुछ लिखित सामग्री, ज्यादातर सीएए पर पूछे जाने वाले प्रश्न के रूप में, दूतावासों के साथ साझा की गई हैं।

इंडियन एक्सप्रेस ने सोमवार को खबर दी थी कि सीएए के लागू होने और देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू होने के एक पखवाड़े से अधिक समय बाद सरकार के कदमों से राजधानी के विदेशी राजनयिक समुदाय के भीतर बेचैनी बढ़ रही है। राजनयिकों ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि सीएए एक आंतरिक मुद्दा है, लेकिन उन्होंने हालात पर चिंता व्यक्त की है।

जी-20 देशों के एक राजदूत ने कहा कि सरकार ने कश्मीर से लेकर अयोध्या मसले तक की जानकारी दी थी लेकिन सीएए पर कोई बात नहीं की। जिसमें अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं भी जुड़ी हुई हैं। अधिकांश कूटनीतिज्ञों का मानना है कि देश में प्रदर्शन सिर्फ मुस्लिम समुदाय तक सीमित नहीं हैं। एक डिप्लोमैट का कहना है कि सरकार अपने दोस्तों के लिए स्थिति को मुश्किल बनाती जा रही है। इस दर से कुछ दोस्त दूर हो जाएंगे जो अन्य कई मुद्दों पर सरकार का समर्थन करते रहे हैं। 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 दिसंबर को नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 को अपनी मंजूरी दे दी, जिसके बाद यह एक कानून बन गया है। इस कानून के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं। पूर्वोत्तर के राज्यों के अलावा दिल्ली, यूपी और बंगाल समेत कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन देखने को मिले।

नागरिकता संशोधन अधिनियम के अनुसार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के जो सदस्य 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं और जिन्हें अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना पड़ा है, उन्हें गैरकानूनी प्रवासी नहीं माना जाएगा, बल्कि भारतीय नागरिकता दी जाएगी।

Web Title: Days before Citizenship Amendment bill tabled in House, inter-ministry meet discussed strategy

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