बसपा में फिर बनेगी दलित-ओबीसी भाईचार कमेटी, मायावती ने चला बड़ा दांव
By राजेंद्र कुमार | Updated: March 25, 2025 19:17 IST2025-03-25T19:16:43+5:302025-03-25T19:17:08+5:30
पार्टी मुख्यालय पर हुई इस बैठक में बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा सहित अन्य तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद थे. इन सभी नेताओं की मौजूदगी में मायावती ने प्रदेशभर में संगठन की मजबूती के साथ आने वाले चुनावों की रणनीति पर चर्चा की.

बसपा में फिर बनेगी दलित-ओबीसी भाईचार कमेटी, मायावती ने चला बड़ा दांव
लखनऊ:उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बीते 13 सालों से लगातार घट रहे वोटबैंक को लेकर परेशान मायावती ने मंगलवार को आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए नया दांव चला है. जिसके तहत बसपा सुप्रीमो मायावती ने वर्ष 2007 की तरह तरह ही वर्ष 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए दलितों के साथ ही ओबीसी को पार्टी से जोड़ने का फैसला किया है.
यहां पार्टी मुख्यालय पर आयोजित अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के नेताओं की बैठक में मायावती ने यह फैसला लिया है. वर्ष 2007 में मायावती ने भाईचार कमेटियों के जरिये दलितों के साथ ब्राह्मण समाज को जोड़ते हुए पूर्ण बहुमत की सरकार यूपी में बनाई थी. अब मायावती ने दलितों के साथ ओबीसी को जोड़ते हुए फिर से सूबे की सत्ता पर काबिज होने की योजना तैयार की है. अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की बुलायी विशेष बैठक मायावती ने इस योजना के कुछ पन्ने खोले.
इसलिए बनाई जाएगी दलित-ओबीसी भाईचार कमेटियां :
पार्टी मुख्यालय पर हुई इस बैठक में बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा सहित अन्य तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद थे. इन सभी नेताओं की मौजूदगी में मायावती ने प्रदेशभर में संगठन की मजबूती के साथ आने वाले चुनावों की रणनीति पर चर्चा की. जमीनी स्तर पर पार्टी के प्रदर्शन और विचारधारा को पहुंचाने पर को लेकर किए जा रहे प्रयासों के बारे में भी पार्टी नेताओं ही राय मायावती ने सुनी.
बैठक में ओबीसी समाज के हितों को लेकर भी विस्तार से चर्चा की गई. बताया जा रहा है कि बैठक में ओबीसी समाज की दिक्कतों की किस तरह से सत्तरूढ़ सरकार अनदेखी कर रही है. और समाजवादी पार्टी ओबीसी समाज को लुभाने के लिए किस तरह से पीडीए फार्मूले के इस्तेमाल कर रही है?
इस बारे में बसपा के तमाम नेताओं ने खुलकर अपने विचार मायावती के सामने व्यक्त किए. जिन्हें सुनने के बाद मायावती ने कहा कि अगले दो वर्षों में यूपी के भीतर चुनाव होना है. ऐसे में हमें हर जिले में भाईचारा कमेटियों का गठन कर बहुजन समाज को एकजुट करना होगा.
मायावती के अनुसार, बहुजन समाज के सभी अंगों को आपसी भाईचारा के आधार पर संगठित उसे राजनीतिक शक्ति में तब्दील करना होगा. इसके लिए हमें दलित और ओबीसी के वोटों की ताकत से सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करने के संकल्प को लेकर अभियान शुरू करना होगा.
इस अभियान के दौरान गाँव-गाँव में लोगों को खासकर कांग्रेस, भाजपा एवं सपा जैसी पार्टियों के दलित व अन्य पिछड़े वर्ग विरोधी चेहरे को लेकर लोगों को जागरूक किया जाएगा. यह कार्य बेहतर तरीके से करने के लिए पार्टी ने एक बार फिर दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को साथ लाने के लिए सूबे में भाईचारा कमिटियों का गठन कर दिया है.
इससे पहले साल वर्ष 2007 में मायावती ने भाईचारा कमेटियों का गठन किया था. इन कमेटियों की मेहनत के भरोसे ही बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार राज्य में बनी थी, लेकिन वर्ष 2012 में जब मायावती के सरकार राज्य में नहीं बनी तो पार्टी की भाईचारा कमेटी का दोबारा गठन नहीं किया गया था.
अब फिर से मायावती को पार्टी में भाईचारा कमेटियों की ताकत का अहसास हुआ है और पार्टी में इनके गठन की कवायद दोबारा शुरू की गई है. जिसके तहत ही दलित-पिछड़ा भाईचारा कमिटियों के बाद मुस्लिम और सवर्ण जातियों के साथ भाईचारा बढ़ाने के लिए भी नए सिरे से कमेटी बनाकर बैठकों का दौर शुरू करने पर भी मंगलवार को सहमति बनी.
कांग्रेस, भाजपा और सपा को किया जाएगा बेनकाब :
बसपा की इस बैठक में दलित और ओबीसी की भाईचारा कमेटियों के गठन को लेकर यह भी कहा गया कि सपा और भाजपा को ओबीसी समाज के हितों की परवाह नहीं है. बहुजन समाज से ताल्लुक रखने वाले करोड़ों लोग सरकार की गलत नीतियों के कारण जबरदस्त महंगाई के इस दौर में परेशान हैं. परन्तु उनकी परेशानी को दूर करने के लिए सपा, भाजपा और कांग्रेस के नेता आगे नहीं आ रहे है.
ऐसे दलों को को परास्त करके सूबे की सत्ता मास्टर चाबी हासिल करना ही बहुजनों के सामने अपने अच्छे दिन लाने का एकमात्र बेहतर विकल्प है. इसलिए गांधीवादी कांग्रेस, आरएसएसवादी भाजपा और सपा तथा उसकी पीडीए में जिसे लोग परिवार डेवल्पमेन्ट अथारिटी भी कहते है को जनता के बीच बेनकाब करना होगा.
मायावती के अनुसार आगामी 14 अप्रैल को डा. भीमराव अम्बेडकर की जयंती के अवसर पर इन दलों की हकीकत जनता के बीच उजागर करते हुए परम्परागत तौर पर पूरी मिशनरी भावना से अम्बेडकर की जयंती मनाई जाएगी.
ऐसे घटा 13 वर्षों में बसपा का वोट बैंक :
वर्ष सीटें वोट प्रतिशत
2007 206 30.34
2012 80 25.95
2017 19 22.23
2022 01 22.00