नई दिल्ली: कोविड- 19 के लिए आरटी- पीसीआर को 'गोल्डन कोविड टेस्ट' भी कहा जाता है. लेकिन जब लोकमत ने आईसीएमआर, स्वास्थ्य मंत्रालय और आधिकारिक सूत्रों से आंकड़ों का विश्लेष्ण किया तो पता चला कि ज्यादातर राज्य इसे करवा ही नहीं रहे हैं.
रैपिड एंटीजन टेस्ट जरूर बड़ी संख्या में करवाया जा रहा है जिसे बहुत विश्वसनीय नहीं कहा जा सकता. इसी तरह ट्रू नेट और टेस्टिंग के दूसरे तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है जो जनता को जोखिम में डाल सकता है. 6 नवंबर तक 11.70 करोड़ टेस्ट करवाए गए हैं. लेकिन इसमें 35 % ही आरटी- पीसीआर है. केंद्र ने बार- बार राज्यों से आरटी- पीसीआर करवाने की अपील की है लेकिन ज्यादातर राज्य जनता को जोखिम में डालते हुए सस्ते और अविश्वसनीय आरटीए टेस्ट करवाने में जुटी है.
आरटी- पीसीआर के साथ सबसे बड़ी समस्या इसकी कीमत है. देश में 2069 लैब में कोविड- 19 टेस्ट करवाए जा रहे हैं. इसमें 1107 में आरटी- पीसीआर टेस्ट करवाए जाते हैं. आइसीएमआर ने टेस्ट की कीमत 2400 रुपए रखी है जो कि आम व्यक्ति की जेब पर भारी है. महाराष्ट्र, यूपी और कर्नाटक में इसकी कीमत 600रुपए तक ला दी गई है.
तमिलनाडु एकमात्र ऐसा राज्य है जहां 99.9 टेस्ट आरटी- पीसीआर ही करवाए जा रहे हैं. लेकिन गुजरात, गोवा में यह 25 प्रतिशत से कम है. बिहार में सबसे कम मात्र 15 प्रतिशत ही आरटी- पीसीआर टेस्ट करवाए गए हैं.यहां मात्र 18 लैब में कोविड टेस्ट हो रहा है. महाराष्ट्र में 146 लैब और तमिलनाडु में 147 लैब हैं. यूपी मंे 6 नवंबर तक 1.50 करोड़ कोविड टेस्ट करवाए गए हैं.
महाराष्ट्र में जांच की संख्या अज्ञात कारणों से घटती जा रही है. यहां आरटी- पीसीआर की कीमत 1000 रुपए तक हो गई है. यूपी में यह 600 रुपए है. देश में रोजाना के मामले 50 हजार तक होने लगे है और मृत्युदर 1.5 प्रतिशत हो गई है.रोजाना 12 लाख टेस्ट करवाए जा रहे हैं.