अशोक गहलोत को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के मानहानि केस में कोर्ट ने किया तलब
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 7, 2023 08:01 AM2023-07-07T08:01:10+5:302023-07-07T08:06:17+5:30
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मानहानि के केस में 7 अगस्त को पेश होने का समन जारी किया है।
दिल्ली/जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दिल्ली की एक अदालत ने आपराधिक मानहानि के केस में बीते गुरुवार को समन जारी किया। यह समन केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा सीएम गहलोत के खिलाफ दायर मामले में जारी हुआ है।
खबरों के मुताबिक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अगस्त के महीने में 7 तरीख को राउज एवेन्यू कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल की आदालत में पेश होना है और अपने खिलाफ लगे आरोपों पर सफाई पेश करनी है।
समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार केंद्रीय मंत्री ने गजेंद्र सिंह ने बीते 4 मार्च को राउज एवेन्यू कोर्ट में मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज की थी।
गजेंद्र सिंह ने कोर्ट में दायर अशोक गहलोत के खिलाफ अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि सीएम न न केवल उन्हें बल्कि उनकी दिवंगत मां को 900 करोड़ रुपये के संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले में सार्वजनिक तौर पर आरोपी कहा है और उनके आरोप झूठे, अपमानजनक और छवि को नुकसान पहुंचाने वाले हैं।
इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने गहलोत पर यह आरोप भी लगाया है कि अशोक गहलोत ने उनके खिलाफ जो आरोप लगाये हैं, उसका मकसद अनुचित राजनीतिक लाभ प्राप्त करना है और गहलोत अपने आरोप के बल पर न केवल आम जनता बल्कि मतदाताओं और उनके रिश्तेदारों की नजर में उनकी छवि खराब करने की नियत रखते हैं।
मामले में अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने समन जारी करते हुए अपने आदेश में कहा, “आरोपी के खिलाप पेश किये गये तथ्यों, परिस्थितियों, शिकायतकर्ता गवाहों की गवाही के साथ रिकॉर्ड पर रखे गए सबूतों पर विचार करने के बाद दायर याचिका में प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी ने शिकायतकर्ता के खिलाफ मानहानिकारक बयान दिए हैं।"
मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने अपने आदेश में आगे कहा, " इसके साथ ही ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी के उपरोक्त मानहानिकारक बयान समाचार पत्र इलेक्ट्रॉनिक मीडिया/सोशल मीडिया में पर्याप्त रूप से प्रकाशित किए गए हैं, जिससे समाज के सदस्य शिकायतकर्ता से दूर हो सकते हैं। इस कारण आरोपी को अदालत में पेश होने का आदेश दिया जाता है।”