अदालत ने विवाहिता, उसके प्रेमी को सुरक्षा देने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज की

By भाषा | Updated: June 17, 2021 21:18 IST2021-06-17T21:18:09+5:302021-06-17T21:18:09+5:30

Court dismisses plea seeking protection to married woman, her lover | अदालत ने विवाहिता, उसके प्रेमी को सुरक्षा देने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज की

अदालत ने विवाहिता, उसके प्रेमी को सुरक्षा देने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज की

प्रयागराज, 17 जून इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पति को छोड़ दूसरे पुरुष के साथ लिव-इन रिलेशन में रह रही महिला और उसके प्रेमी को सुरक्षा देने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज कर दी। महिला और उसके प्रेमी ने महिला के पति और उसके परिवार से खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की थी।

अदालत ने उनपर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाते हुए कहा कि यह महिला पहले से विवाहित है और दूसरे व्यक्ति के साथ लिव-इन संबंध में रह रही है जो हिन्दू विवाह अधिनियम के ‘‘शासनादेश’’ के विरूद्ध है।

अदालत ने कहा, “हमें यह समझ में नहीं आता कि समाज में अवैधता की अनुमति देने वाली इस तरह की याचिका को कैसे स्वीकार किया जा सकता है।”

प्रथम याचिकाकर्ता महिला और दूसरा याचिकाकर्ता पुरूष दोनों ही वयस्क हैं। दोनों अलीगढ़ के निवासी हैं। इस याचिका के जरिए उच्च न्यायालय से महिला के पति और अन्य परिजनों को उसके शांतिपूर्ण जीवन में दखल नहीं देने का निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया था।

याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति कौशल जयेंद्र ठाकेर और न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की खंडपीठ ने कहा, “क्या हम ऐसे लोगों को सुरक्षा दे सकते हैं जो ऐसा कृत्य करते हैं जिसे हिंदू विवाह कानून के शासनादेश के खिलाफ कहा जा सकता है। भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 एक व्यक्ति को स्वयं की स्वतंत्रता की अनुमति दे सकता है, लेकिन यह स्वतंत्रता उस व्यक्ति पर लागू कानून के दायरे में होना चाहिए।”

अदालत ने माना कि यह महिला प्रतिवादियों में से एक की कानूनन शादीशुदा पत्नी है। अदालत ने कहा, महिला ने जिस भी कारण से अपने पति को छोड़कर जाने का निर्णय किया हो, क्या हम उसे जीवन एवं स्वतंत्रता की सुरक्षा की आड़ में लिव इन संबंध में रहने की अनुमति दे सकते हैं।

अदालत ने यह भी कहा कि क्या इस महिला के पति ने कोई ऐसा कार्य किया है जिसे भारतीय दंड संहिता की धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध) के तहत एक अपराध कहा जा सकता है जिसके लिए उसने कभी कोई शिकायत नहीं की। ये सभी तथ्यों के विवादास्पद प्रश्न हैं और इस संबंध में कोई प्राथमिकता नहीं की गई।

अदालत ने निर्देश दिया कि इन याचिकाकर्ताओं पर लगाया गया हर्जाना इनके द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा किया जाएगा।

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Web Title: Court dismisses plea seeking protection to married woman, her lover

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