अदालत ने इलेक्ट्रॉनिक निगरानी संबंधी अपील पर सीआईसी से आठ सप्ताह में निर्णय के लिए कहा

By भाषा | Published: December 2, 2021 05:24 PM2021-12-02T17:24:18+5:302021-12-02T17:24:18+5:30

Court asks CIC to decide in eight weeks on appeal related to electronic surveillance | अदालत ने इलेक्ट्रॉनिक निगरानी संबंधी अपील पर सीआईसी से आठ सप्ताह में निर्णय के लिए कहा

अदालत ने इलेक्ट्रॉनिक निगरानी संबंधी अपील पर सीआईसी से आठ सप्ताह में निर्णय के लिए कहा

नयी दिल्ली, दो दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) से कहा कि वह गृह मंत्रालय द्वारा इलेक्ट्रॉनिक निगरानी को लेकर जानकारी प्रदान करने से इनकार करने को लेकर दाखिल अपील पर आठ सप्ताह के भीतर फैसला करे।

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की एकल पीठ ने केंद्रीय सूचना आयोगसीआईसी के वकील का बयान स्वीकार करते हुए इसे रिकार्ड पर लिया कि अपील पर शीघ्रता से और किसी भी मामले में आठ सप्ताह के भीतर निर्णय लेने के सभी प्रयास किए जाएंगे।

उच्च न्यायालय अधिवक्ता और इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन (आईएफएफ) के सह-संस्थापक और कार्यकारी निदेशक अपार गुप्ता की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें राज्य प्रायोजित इलेक्ट्रॉनिक निगरानी पर सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत जानकारी मांगने वाले आवेदनों की अस्वीकृति को चुनौती दी गई है।

सुनवाई के दौरान सीआईसी की ओर से पेश अधिक्ता गौरांग कांत ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण कई मामले लंबित हैं और आयोग वर्तमान में 2019 की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जबकि गुप्ता की अपील इस साल दायर की गई थी। इस पर न्यायाधीश ने कहा, ‘‘तो आप भारी बोझ महसूस कर रहे हैं? मुझे निर्णय लेने का निर्देश देने में कोई समस्या नहीं है... लेकिन हम इसे शीघ्रता से तय करने में आपकी अक्षमता को भी दर्ज करेंगे।’’

अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील को कुछ अतिरिक्त दस्तावेजों को रिकॉर्ड में रखने की अनुमति दी ताकि यह स्थापित किया जा सके कि किसी आरटीआई आवेदन के लंबित रहने के दौरान सामग्री की छंटाई नहीं होती, जैसा कि केंद्रीय जन सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) ने दावा किया है।

इस मामले में केंद्र की ओर से स्थायी वकील अनुराग अहलूवालिया पेश हुए। याचिका में कहा गया है कि आईएफएफ एक पंजीकृत परोपकारी ट्रस्ट है जो रणनीतिक मुकदमेबाजी और अभियानों के माध्यम से भारत में ऑनलाइन स्वतंत्रता, निजता और नवाचार का बचाव करता है।

अधिवक्ता वृंदा भंडारी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने दिसंबर 2018 में सूचना का अधिकार कानून के तहत छह आवेदन दायर किए थे, जिसमें जनवरी 2016 से दिसंबर 2018 के बीच सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 69 के तहत पारित आदेशों की संख्या का विवरण मांगा गया था, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के लिए अनुमति दी गई थी।

याचिका में कहा गया कि गृह मंत्रालय ने दावा किया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के तहत ऐसी सूचना दिए जाने से छूट है और निर्णय के खिलाफ एक अपील दायर की गई थी और मामला प्रथम अपीलीय प्राधिकरण (एफएए) के पास गया, जिसने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

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Web Title: Court asks CIC to decide in eight weeks on appeal related to electronic surveillance

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