जयपुर: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में भारत के सार्वजनिक बैंकों में से एक बैंक ऑफ़ बड़ौदा ने हिंदी साहित्य के लेखक और इसके अनुवादक के लिए एक सम्मान का एलान किया है। बैंक ऑफ़ बड़ौदा ने इस सम्मान को 'बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान' का नाम दिया है।
ऐसे में इस सम्मान के तहत हिंदी में अनूदित और दो साल के भीतर प्रकाशित कृति को 61 लाख रूपए का पुरस्कार दिया जाएगा। आपको बता दें कि यह पुरस्कार लेखक और इसके अनुवादक दोनो को दिए जाएंगे लेकिन दोनों के ही पुरस्कार की राशि अलग-अलग होगी।
क्या है यह 'बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान'?
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में 'बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान' पर बोलते हुए बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी संजीव चड्ढा ने कहा है कि इस सम्मान से भारतीय साहित्य के अनुवाद कार्य को प्रोत्साहन मिलेगा।
ऐसे में इस सम्मान के तहत क्षेत्रीय भाषाओं में लिखे गए चयनित उपन्यास के लेखक और उसके अनुवादक दोनों को पुरस्कार मिलेगा। इसके तहत हर साल चयनित उपन्यास के लेखक को 21 लाख रुपए और उसके अनुवादक को 15 लाख रुपए मिलेंगे। इसके अलावा पांच और चुने गए कृतियों के लेखक को तीन लाख रुपए और उसके अनुवादक को दो लाख रुपए का पुरस्कार भी दिया जाएगा।
क्या बोले बैंक के प्रबंध निदेशक
ऐसे में 'बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान' की घोषणा के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फेरेंस में बैंक ऑफ़ बड़ौदा के प्रबंध निदेशक ने कहा है कि जब भी हमारे कॉल सेंटर में कॉल्स आते है तो वह ज्यादातर हिंदी भाषा में ही होते है। उनके अनुसार, बैंक को करीब 85 फीसदी कॉल्स हिंदी में आते है।
इस पर बोलते हुए बैंक के प्रबंध निदेशक ने कहा है कि हमारे लिए यह जरूरी हो जाता है कि हम भारतीय भाषाओं को बढ़ावा दें। ऐसे में इसी कड़ी में इस सम्मान की शुरुआत हुई है।
आपको बता दें कि जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में बैंक के कार्यपालक निदेशक अजय के. खुराना, फेस्टिवल के संस्थापक, निदेशक संजय के रॉय और फेस्टिवल की संस्थापक, निदेशक और साहित्यकार नमिता गोखले, इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार से सम्मानित बहुचर्चित लेखिका गीतांजलि श्री सहित देश-विदेश के जाने-माने साहित्य प्रेमी, भाषाविद् सहित अन्य प्रबुद्धजन भी उपस्थित थे।