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COVID-19: कोरोना पॉजिटिव बाप को तड़पता देख बेटे ने अस्पताल में अपना बेड छोड़ा

By उस्मान | Updated: May 2, 2021 11:03 IST

खुद कोरोना से पीड़ित था बेटा, बाप को एडमिट कराकर खुद होम आइसोलेशन में है

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ठळक मुद्देखुद कोरोना से पीड़ित था बेटाबाप को कहीं नहीं मिल रहा था बेड अब खुद होम आइसोलेशन में है बेटा

कोरोना वायरस का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। दूसरी लहर के तहत भारत में हर दिन संक्रमण और मौत के सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं। अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। बहुत से मरीज अस्पतालों में बेड नहीं मिलने से दम तोड़ रहे हैं। 

इस बीच राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा से आंखें नम करने वाली खबर सामने आई है। शहर के एक अस्पताल में भर्ती एक 38 साल के बीमार बेटे ने कोरोना संक्रमित अपने पिता के लिए बेड छोड़ दिया।

टीओआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, मयंक प्रताप सिंह नामक एक 38 वर्षीय का अस्पताल में कोरोना का इलाज चल रहा था। जब उसे पता चला कि उसके पिता का रिजल्ट भी पॉजिटिव आया है और उन्हें कहीं बेड नहीं मिला, तो उन्होंने उनके लिए अपना बिस्तर छोड़ दिया। मयंक अब होम आइसोलेशन में है। 

बेटे का आईसीयू में चल रहा था इलाज

मयंक 9 अप्रैल से बीमार थे। उनकी हालत बिगड़ने के बाद 17 अप्रैल को उन्हें नोएडा कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया था और ऑक्सीजन लेवल कम होने लगा था। इस बीच, उनके पिता उदय प्रताप को भी कोरोना हो गया और उनका भो ऑक्सीजन लेवल कम होने लगा।

पिता को कहीं नहीं मिला बिस्तर

जब उसके पिता को कहीं बेड नहीं मिला तो मयंक ने अपना बेड उन्हें देने का फैसला किया। उन्होंने अस्पताल प्रशासन से अपने पिता को बेड देने का अनुरोध किया। 

मयंक ने बताया कि उन्हें 12 अप्रैल को पता चल गया था कि उन्हें कोरोना हो गया है और कई प्रयासों के बाद 17 अप्रैल को नोएडा कोविड अस्पताल में एक बेड मिला था, जहां उन्हें जरनल वार्ड में एडमिट किया गया।

बेटा अब होम आइसोलेशन में

उन्होंने कहा कि मेरी हालत बिगड़ने के कारण अस्पताल ने अगले दिन आईसीयू में भेज दिया गया। इलाज के दौरान मैं 10 दिनों तक अस्पताल में रहा। जब मेरा ऑक्सीजन लेवल स्थिर हो गया, तो मुझे मेरे पिता का पॉजिटिव होने का पता चला। 

मयंक ने कहा कि मेरे पिता की हालत बिगड़ती जा रही थी और उनका ऑक्सीजन लेवल गिरता जा रहा था। बहुत कोशिश के बावजूद कहीं बेड नहीं मिला। मैंने सोचा कि यहीं बेड मिल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

मयंक ने फिर एक वरिष्ठ डॉक्टर से संपर्क किया। उन्होंने डॉक्टर से अपना बिस्तर अपने पिता को देने की बात कही। उनकी सहमती के बाद 27 अप्रैल को मेरे पता को बिस्तर मिल गया। उनके पिता आईसीयू में इलाज जारी है। 

टॅग्स :कोरोना वायरसकोविड-19 इंडियामेडिकल ट्रीटमेंटनॉएडा
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