पटनाः कोरोना संक्रमण की विस्फोटक रफ्तार को रोकने के लिए बिहार में भले ही लॉकडाउन लगा दिया गया है, लेकिन सच्चाई यह है कि यह केवल आंख में धूल झोंकने के सिवाय और कुछ नहीं है.
शासन की ओर से लॉकडाउन लागू कर अपने कर्तव्यों का इतिश्री समझ लिया जान सूबे के वासियों के लिए घातक साबित होता जा रहा है. कारण कि लॉकडाउन लागू किये जाने के बावजूद बिहार में कोरोना का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है.
सरकार की ओर से संक्रमण से बचाव के लिए लॉकडाउन लगाया गया है. एहतियातन किसी को भी बिना वजह बाहर निकलने की इजाजत नहीं है. लेकिन हालात ऐसे हैं कि सड़कों पर लोग धडल्ले से घूमते नजर आ जाते हैं. यहां बता दें कि बिहार में लॉकडाउन लागू है, बावजूद इसके राजधानी पटना के सड़कों पर चाउमीन और छोले-भटूरे के ठेले खुलेआम धंधे करते नजर आ रहे हैं.
चाय, पान और अन्य सामानों की सडकों पर बेधड़क बिक्री देखी जा सकती है
चाय, पान और अन्य सामानों की सड़कों पर बेधड़क बिक्री देखी जा सकती है. वह भी पुलिस-प्रशासन के सामने. अर्थात कहीं कोई सख्ती नजर नहीं आती है. वहीं, नालंदा जिले के भागन बिगहा थाना क्षेत्र के बोकना गांव मे सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर लॉकडाउन की धज्जियां उड़ाई गईं. इतना ही नहीं लोगों ने नर्तकियों के ठुमके पर पिस्तौल भी लहराया.
इसका वीडियो वायरल हो गया है. यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले का हाल है. यहां दबंगों ने न केवल आर्केस्ट्रा कार्यक्रम कराया, बल्कि तमंचा लहराते हुए बार बालाओं के साथ जमकर डिस्को डांस भी किया. कार्यक्रम के दौरान अश्लील भोजपुरी गानों पर खूब ठुमके लगे. अब इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद बैकफुट पर आई पुलिस कार्रवाई की बात कह रही है, लेकिन अहम बात यह है कि वह जानकारी के बावजूद कार्यक्रम को रोकने में नाकम रही.
स्थानीय पुलिस ने गांव में जाकर लोगों को डांट-फटकार कर खानापूर्ति की
बताया जाता है कि इसकी सूचना किसी ने जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह को दी. इसके बाद स्थानीय पुलिस ने गांव में जाकर लोगों को डांट-फटकार कर खानापूर्ति की और वापस लौट गई. पुलिस के लौटने के बाद दबंगों ने फिर कार्यक्रम चालू करा दिया.
आधी रात तक हुए इस कार्यक्रम के दौरान जमकर तमंचे लहराए गए. बताया जाता है कि कार्यक्रम के आयोजकों में कुछ शराब माफिया शामिल रहे. यह कार्यक्रम बस यूं ही मस्ती के लिए आयोजित कर दिया गया था, यह किसी पर्व-त्योहार या शादी-विवाह के सिलसिले में आयोजित नहीं किया गया था.
स्थानीय पुलिस कुछ भी बताने से कतरा रही है
इस मामले में स्थानीय पुलिस कुछ भी बताने से कतरा रही है. हालांकि, बताया जा रहा है कि कार्यक्रम स्थल पर शराब की बोतलें भी मिली हैं. सबसे मजेदार बात तो यह है कि थोडी दूर पर मौजूद थाना की पुलिस को इसकी जानकारी भी नहीं हुई. कोरोना काल में रातभर जमकर नियमों की धज्जियां उड़ी.
इससे पहले नवादा जिले के रोह प्रखंड के एक गांव में भी कोरोना लॉकडाउन में रातभर बार बालाओं के ठुमके लगते रहे थे. बारबालाओं के नृत्य का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था. वायरल वीडियो जलालपुर गांव का का बताया गया था.
वीडियो में स्टेज पर तीन बार बालाएं ठुमके लगा रही हैं
वीडियो में स्टेज पर तीन बार बालाएं ठुमके लगा रही हैं. दो वीडियो में कुछ युवक भी स्टेज पर बार बालाओं के हाथ पकडकर ठुमके लगाते दिखायी दे रहे हैं. वहीं स्टेज के नीचे खडे़ युवकों की टोली भी डांस में मशगूल दिखायी दे रही है. इस दौरान मास्क लगाना तो दूर, सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ती दिख रही है. चर्चा है कि राजगीर से लाई गई तीनों बार बालाओं ने फूहड़ गीतों पर भी जमकर ठुमके लगाए थे.
वहीं, समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर थाना क्षेत्र के मध्य विद्यालय में भी कोरोना लॉकडाउन में सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उडाते हुए मध्य विद्यालय में बने क्वारंटाइन सेंटर में नाच प्रोग्राम हुआ था. इस कार्यक्रम में अश्लील गाने बजाए गए थे. सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद एडिशनल कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए थे.
इस तरह बिहार में बहार की स्थिति है. लॉकडाउन क्या होता है इसे मानने वाला कोई नहीं दिखता. शासन-प्रशासन भी लॉकडाउन की घोषणा कर अपने कर्तव्यों का इतिश्री कर ही लेती है. ऐसे में अगर कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है तो इसमें सरकार का दोष कहां है? आदेश तो जारी हुआ ही है ना, अब अगर लोग नहीं मान रहे हैं तो इसमें सरकार का दोष कहां है? बिहार में बहार है, नीतीश कुमार की सरकार है.