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चीन की गंदी चाल, लद्दाख में कोरोना के चलते बंद था भारतीय सेना का अभ्यास, चुपके से भेज दिए हजारों जवान

By निखिल वर्मा | Updated: June 3, 2020 15:16 IST

भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर विवाद है। चीन अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है और इसे दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है। वहीं, भारत इसे अपना अभिन्न अंग करार देता है।

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ठळक मुद्दे एलएसी पर भारत की तरफ गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो क्षेत्र में चीनी सैनिक अच्छी-खासी संख्या में डेरा डाले हुए हैं।एलएसी पर पूर्वी लद्दाख के कई क्षेत्रों में भारत और चीन के सैनिकों के बीच लगभग एक महीने से तनातनी चली आ रही है।भारतीय सेना ने चीनी सेना के आक्रामक हाव-भाव वाले क्षेत्रों में अपनी मौजूदगी को मजबूत करने के लिए सैनिकों, वाहनों और तोपों सहित कुमुक भेजी हैं।

कोरोना वायरस महामारी के बीच भी चीन अपने चालबाजियों से बाज नहीं आ रहा है। दक्षिण चीन सागर, हांगकांग के अलावा चीन ने भारत की लद्दाख सीमा पर भी सैन्य जमावड़ा मजबूत कर लिया। मार्च  महीने में भारतीय सेना के कुछ जवानों के कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य अभ्यास को कुछ दिनों के लिए टाल दिया था। इसी बीच चीन की आर्मी ने लद्दाख में रणनीतिक दृष्टि से अहम भारतीय सेना के पेट्रोलिंग वाले इलाकों में आगे बढ़कर अपनी पोजिशन मजबूत कर ली। इसकी जानकारी होने के बाद भारत-चीन के बीच सीमा पर भारी तनाव जारी है।

इकानॉमिक टाइम्स में छपी खबर के अनुसार, मार्च में कुछ जवानों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद भारतीय सेना और भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) का सब सेक्टर नॉर्थ जवाबी अभ्यास टाल दिया गया था। इस अभ्यास में हिमाचल बेस के जवान शामिल होते हैं।

चीन ने भी अपने अभ्यास को एक महीने के लिए टाल दिया था लेकिन इसी बीच उसने चालाकी दिखाते हुए गलवान घाटी और पैंगोंग लेक के करीब अपने जवानों की तैनाती कर दी। इस इलाके में चीनी सैनिकों के जमावड़े के चलते दौलद बेग ओलिड और काराकोरम पा ससे लेह तक जाने के लिए पिछले साल भारत द्वारा बनाए सड़क से संपर्क टूटने का खतरा मंडरा रहा है। गलवान में चीन के करीब 3400 सैनिक तैनात हैं जबकि पैंगोंग लेक के करीब 3600 चीनी सैनिक हैं।

मार्च के दूसरे हफ्ते में भारतीय जवान के कोविड-19 से संक्रमित होने पर सेना ने कई तरह के ऐहतियाती कदम उठाए। इनमें सुरक्षाबलों के जमावड़े पर रोक के साथ ही लद्दाख में किया जाने वाला सैन्य अभ्यास भी शामिल था। हालांकि चीन की चाल को देखते हुए भारत ने लेह में तैनात अपने सैनिकों को तुरंत लद्दाख इलाके में भेज दिया है। लेकिन तब तक चीन को इलाके में रणनीतिक बढ़त हासिल हो चुका है।

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में भारत और चीनी सैनिकों के बीच पहली झड़प की खबर 5-6 मई को आई थी। इसमें कई भारतीय जवानों के घायल होने की खबरें भी आई थीं। मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत और चीन की सेनाओं के बीच लगभग एक महीने से चले आ रहे गतिरोध के संदर्भ में कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिक ‘‘अच्छी खासी संख्या में’’ आ गए हैं। भारत ने भी स्थिति से निपटने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए हैं। 

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत और चीन के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच छह जून को बैठक निर्धारित है। इसके साथ ही उन्होंने आश्वस्त किया कि भारत अपनी स्थिति से पीछे नहीं हटेगा। पूर्वी लद्दाख में संवेदनशील क्षेत्रों में वर्तमान स्थिति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि चीनी वहां तक आ गए हैं जिसका वे अपना क्षेत्र होने का दावा करते हैं, जबकि भारत का मानना है कि यह उसका क्षेत्र है। 

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