Coronavirus: दक्षिण राजस्थान में कोरोना राहत कार्यों की जरूरत, जानें वजह
By प्रदीप द्विवेदी | Published: March 15, 2020 07:28 PM2020-03-15T19:28:06+5:302020-03-15T19:28:06+5:30
कोरोना वायरस के कहर से प्रत्यक्ष प्रभावितों की संख्या तो धीरे-धीरे बढ़ ही रही है, लेकिन अप्रत्यक्ष प्रभावितों की बड़ी संख्या के मद्देनजर दक्षिण राजस्थान में चिंता की लकीरें गहरा रही हैं.
राजस्थान: मुंबई सहित कई महानगरों में कोरोना वायरस के कुप्रभाव के चलते कई तरह के आवश्यक प्रतिबंध लगाए गए हैं, जिसके नतीजे में इन शहरों का आर्थिक चक्र ही गड़बड़ा गया है.
कोरोना वायरस के कहर से प्रत्यक्ष प्रभावितों की संख्या तो धीरे-धीरे बढ़ ही रही है, लेकिन अप्रत्यक्ष प्रभावितों की बड़ी संख्या के मद्देनजर दक्षिण राजस्थान में चिंता की लकीरें गहरा रही हैं.
दक्षिण राजस्थान के उदयपुर, सलुंबर, बांसवाड़ा, कुशलगढ़, पालोदा, डूंगरपुर, सागवाड़ा, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़ सहित आसपास के क्षेत्रों के लाखों लोग मुंबई सहित महाराष्ट्र, गुजरात के विभिन्न शहरों में कार्यरत हैं. इनमें आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों के लोग ज्यादा हैं. इनमें भी ज्यादातर दैनिक मजदूर जैसे काम कर रहे हैं, जो विभिन्न होटलों, दुकानों, भवन निर्माण आदि में काम करते हैं. अब इनके सामने कोरोना वायरस से बचाव के अलावा वहां रहने के लिए किराया, घर-खर्च आदि जुटाने की भी बड़ी समस्या गहरा रही है.
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र सरकार ने एक परिपत्र जारी करके कोरोना वायरस से मुकाबले के लिए ऐहतियात के तौर पर राज्य के शहरी क्षेत्रों में सभी स्कूल और कॉलेज को 31 मार्च तक बंद करने का आदेश दिया है. इसके अतिरिक्त, महाराष्ट्र में शॉपिग मॉल भी 31 मार्च 2020 तक बंद रहेंगे.
ऐसी स्थिति में दक्षिण राजस्थान के मुंबई, नागपुर, सूरत आदि शहरों में कार्यरत लोगों को यहां सुरक्षित लाने और अकाल राहत कार्य जैसे- कोरोना राहत कार्य शुरू करने की जरूरत महसूस की जा रही है, ताकि ऐसे लोगों को इन शहरों का जनजीवन सामान्य होने तक अपने क्षेत्र में आर्थिक सुरक्षा मिल सके.
इसके लिए राजस्थान सरकार ग्रामीण क्षेत्र की विभिन्न प्रस्तावित योजनाओं की गति बढ़ा सकती है, ताकि कोरोना वायरस के कारण अप्रत्यक्ष प्रभावित बेरोजगारों को रोजगार मिल सके!