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कोरोना संकटः देश में कम टेस्टिंग चिंता का विषय, महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा, बिहार, यूपी, बंगाल हैं पीछे

By हरीश गुप्ता | Updated: May 22, 2020 06:28 IST

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर द्वारा 21 मई को जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में प्रति 10 लाख आबादी पर टेस्ट की संख्या 2007 है. एक माह पहले तक भारत ने 4.62 लाख लोगों का परीक्षण किया था और आज यह आंकड़ा 26.15 लाख तक पहुंच चुका है.

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ठळक मुद्देकोविड-19 के भारत पर कहर की बात की जाए तो प्रति 10 लाख की आबादी पर 2.64 मौत के साथ वह दुनिया में शायद सबसे नीचे है.यह स्थिति 21 मई की है. यूरोप, उ. अमेरिका, अफ्रीका और अन्य देशों की तुलना में कोरोना पॉजिटिव मामलों का प्रति 10 लाख केवल 86 होना भी उसके बेहतर स्थिति में होने का संकेत है.

नई दिल्ली: कोविड-19 के भारत पर कहर की बात की जाए तो प्रति 10 लाख की आबादी पर 2.64 मौत के साथ वह दुनिया में शायद सबसे नीचे है. यह स्थिति 21 मई की है. यूरोप, उ. अमेरिका, अफ्रीका और अन्य देशों की तुलना में कोरोना पॉजिटिव मामलों का प्रति 10 लाख केवल 86 होना भी उसके बेहतर स्थिति में होने का संकेत है. इस बीच कुछ जानकारों के मुताबिक कम टेस्टिंग के कारण भारत में कोविड-19 के कम मामले सामने आ रहे हैं.

जानकारों की चिंता जहां तक जानकारों की चिंता की बात की जाए तो वह देश में अन्य देशों की तुलना में कम टेस्टिंग को लेकर चिंतित हैं. विकसित देशों की तो बात छोड़ ही दीजिए, अफ्रीकी देश का संयुक्त औसत भी प्रति 10 लाख 2082 टेस्ट का है.केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर द्वारा 21 मई को जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में प्रति 10 लाख आबादी पर टेस्ट की संख्या 2007 है. एक माह पहले तक भारत ने 4.62 लाख लोगों का परीक्षण किया था और आज यह आंकड़ा 26.15 लाख तक पहुंच चुका है. आशंका है कि कम जांच के कारण ही कोरोना पीडि़तों का आंकड़ा 1 लाख से बहुत ज्यादा ऊपर नहीं पहुंचा है.

कई पिछड़े, कई छिपा रहे जानकार इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि कई राज्य जहां टेस्ट के मामले में पिछड़े हुए हैं तो कई ने वास्तविक आंकड़ों को छिपाने की ही मानो ठान ली है. निजी लैब्स लंबी-चौड़ी प्रक्रिया के कारण इससे कन्नी काट रही हैं. अधिकांश निजी लैब अपनी क्षमता की तुलना में केवल 25 प्रतिशत ही टेस्टिंग कर रही हैं. इसके अलावा आईसीएमआर ने भी मरीज की इच्छा के बगैर टेस्ट लेने पर लैब के लिए रोक लगा रखी है.

जिला स्वास्थ्य अधिकारी, आईसीएमआर के नोडल अधिकारियों से अनुमति और अन्य औपचारिकताओं के कारण परिणामों में देरी हो रही है. बिहार, यूपी फिसड्डी बिहार और उत्तरप्रदेश शुरुआत से ही टेस्टिंग के मामले में फिसड्डी साबित हो रहे हैं. देश के 17 सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्यों में बिहार प्रति 10 लाख केवल 438 टेस्ट के साथ सबसे नीचे है.

उत्तरप्रदेश (838) और प. बंगाल (959) का भी यही हाल है. महाराष्ट्र (2492) और दिल्ली (7476) प्रति 10 लाख टेस्ट के मामले में अच्छी स्थिति में हैं. 7665 टेस्ट प्रति 10 लाख के साथ जम्मू-कश्मीर देश में अव्वल है. इसके बावजूद यह एक तरह से रहस्य ही साबित हो रहा है कि बिहार, यूपी, प. बंगाल में कोरोना के मामलों और मौत में पिछले एक सप्ताह में कोई उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी नहीं हुई है. संभव है कि केंद्र इन राज्यों की स्थिति की दोबारा समीक्षा करे.

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