सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच केंद्र द्वारा नौकरियों में दिये 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस आरक्षण की संवैधानिक वैधता को परखेगी

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 30, 2022 03:20 PM2022-08-30T15:20:28+5:302022-08-30T15:24:51+5:30

सुप्रीम कोर्ट केंद्र द्वारा नौकरियों में ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत दिये जाने वाले 10 फीसदी आरक्षण की संवैधानिक वैधता को देखना, समझना और परखना चाहता है।

Constitutional Bench of Supreme Court to review the constitutional validity of 10 percent EWS reservation in jobs given by the Center | सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच केंद्र द्वारा नौकरियों में दिये 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस आरक्षण की संवैधानिक वैधता को परखेगी

फाइल फोटो

Highlightsसुप्रीम कोर्ट केंद्र द्वारा दिये गये नौकरियों में 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस रिजर्वेशन की संवैधानिक वैधता को परखेगासुप्रीम कोर्ट ने आदेश आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के खिलाफ दायर एक याचिका के मामले में दिया आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य द्वारा मुस्लिमों को दिये लोकल आरक्षण को गैर संवैधानिक बताया था

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो केंद्र द्वारा नौकरियों में दिये गये 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस रिजर्वेशन की संवैधानिक वैधता को परखना चाहता है। देश की सर्वोच्च आदालत ने मंगलवार को कहा कि वह इस संबंध में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से पहले नौकरियों में ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत दिये जाने वाले 10 फीसदी आरक्षण के केंद्र के फैसले की संवैधानिक वैधता के देखना और समझना चाहता है। आंध्र प्रदेश की हाईकोर्ट ने अपने फैसले में मुसलमानों को रिजर्वेशन देने वाले स्थानीय कानून को इससे अलग कर दिया था।

मामले में चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पांच सदस्यीय संवैधानिक बेंच ने कहा कहा कि वह इस संबंध में छह सितंबर को प्रक्रियात्मक पहलुओं के साथ अन्य विवरणों पर फैसला लेंगे और 13 सितंबर से मामले में दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेंगे।

केंद्र सरकार ने 103वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2019 के जरिये आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए एडमिशन और नौकरी में 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया था।

मामले में सुप्रीम कोर्ट आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई करेगा, जिसमें हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के द्वारा मुसलमानों को आरक्षण देने वाले स्थानीय कानून को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में और भी अन्य याचिकाओं दाखिल की गई है। जिनपर सर्वोच्च अदालत सुनवाई करेगी।

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में पांच जजों की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की थी और 4-1 के आधार पर हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि यह संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) (सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को कोटा देने की राज्य की शक्ति) का खिलाफ है और सीधे तौर पर असंवैधानिक है। आंध्र प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों में सीटों के आरक्षण और नियुक्तियों से संबंधित मुस्लिम समुदाय अधिनियम, 2005 के तहत राज्य की सार्वजनिक सेवाएं में कोई आरक्षण नहीं दिया जा सकता है।

हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ राज्य समेत करीब उन्नीस याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं। राज्य सरकार का कहना है कि राज्य में एडमिशन और नौकरियों में मुसलमानों के लिए कोटा रद्द करने का अधिकार हाईकोर्ट के पास नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने कहा कि चूंकि सभी मुद्दे एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, इसलिए वह पहले केंद्र द्वारा ईडब्ल्यूएस कोटे से दिये गये 10 फीसदी आरक्षण की संवैधानिक वैधता को देखेगी और उसके बाद ही मुस्लिम आरक्षण कानून से संबंधित मामलों पर विचार करेगी।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चार वकीलों, शादान फरासत, नचिकेता जोशी, महफूज नाजकी और कानू अग्रवाल को दस्तावेजों के संकलन सहित सभी पक्षों की दलीलों को समझने के लिए नोडल अधिवक्ता के तौर पर कार्य करने के लिए नामित किया है। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

Web Title: Constitutional Bench of Supreme Court to review the constitutional validity of 10 percent EWS reservation in jobs given by the Center

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