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राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष पद से जुड़े बयान पर विवाद के बाद शशि थरूर ने लेख लिखकर पेश किया अपना पक्ष

By रामदीप मिश्रा | Updated: February 26, 2020 13:29 IST

शशि थरूर ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी के दीर्घकालिक अध्यक्ष को लेकर अनिश्चितता का समाधान करना पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए बड़ा महत्वपूर्ण है। यह राहुल गांधी की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह कांग्रेस प्रमुख के रूप में लौटना चाहते हैं या नहीं

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ठळक मुद्देदिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली हार का जिक्र करते हुए शशि थरूर कहा कि बीजेपी को करारा जवाब देने के लिए हमें इस समय खुद मजूबत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में 4 फीसदी वोट हासिल करना एक हार से भी बदतर है, यह एक शर्मिंदगी है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने अपने उस बयान पर सफाई दी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि पार्टी के लोगों में कांग्रेस के 'डांवाडोल' होने की बढ़ रही धारणा को दूर करने के लिए अपने नेतृत्व का मुद्दा शीर्ष प्राथमिकता के आधार पर हल करना चाहिए। उनके इस बयान को लेकर राजनीति गरम हो गई थी, जिसके बाद थरूर ने एक लेख लिखा है। इस लेख में उन्होंने सफाई देते हुए कहा है कि उन्हें गलत समझा जा रहा है। 

उन्होंने कहा है, 'मैं आजीवन राजनेता नहीं हूं, मैं एक कैरियरवादी (Careerist) की तरह नहीं सोचता, मैं राजनीति में हूं क्योंकि मुझे विश्वास है कि भारत को आगे बढ़ाने के लिए यह आवश्यक है और मैं कांग्रेस का समर्थन करता हूं क्योंकि इसका इतिहास, इसका अनुभव और उपलब्ध प्रतिभा आपको आगे बढ़ाने के लिए सबसे अच्छी सवारी है। मैंने इसके समावेशी मूल्यों और बहुलतावादी सिद्धांतों को पकड़ कर रखा है।'

उन्होंने हालिया दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली हार का जिक्र करते हुए कहा कि बीजेपी को करारा जवाब देने के लिए हमें इस समय खुद मजूबत करना चाहिए। राष्ट्रीय राजधानी में 4 फीसदी वोट हासिल करना एक हार से भी बदतर है, यह एक शर्मिंदगी है। इससे भी बुरी बात यह है कि मीडिया के द्वारा जनता में यह धारणा बनाई गई है कि कांग्रेस एक विश्वसनीय राष्ट्रीय विपक्ष की चुनौती लेने में असमर्थ है। हमारे सामने इस तरह की धारणा को खत्म करना होगा।

थरूर ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी के दीर्घकालिक अध्यक्ष को लेकर अनिश्चितता का समाधान करना पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए बड़ा महत्वपूर्ण है। यह राहुल गांधी की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह कांग्रेस प्रमुख के रूप में लौटना चाहते हैं या नहीं, लेकिन यदि वह अपना पिछला रुख नहीं बदलते हैं तो ऐसे में पार्टी के लिए 'सक्रिय और पूर्णकालिक नेतृत्व' तलाशने की जरूरत है ताकि पार्टी आगे बढ़ सके जैसा कि राष्ट्र अपेक्षा करता है। 

पिछले सप्ताह कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) के चुनाव की फिर मांग कर चुके तिरुवनंतपुरम के सांसद ने कहा कि पार्टी का निर्णय लेने वाली इस शीर्ष समिति के कुछ सदस्यों के चुनाव की प्रक्रिया से एक ऐसी ऊर्जावान नेतृत्व टीम सामने आएगी जिसके पास संगठन की चुनौतियों का हल करने के लिए मिलकर काम करने का अधिकार होगा।  

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमें वर्तमान नेतृत्व मुद्दा हल करने की जरूरत है। हमें अंतरिम के विपरीत दीर्घकालिक कांग्रेस अध्यक्ष और कार्य समिति की 'निर्वाचित सदस्यता' के साथ शुरुआत करने की जरूरत है। वह पार्टी में इन पदों के लिए स्वतंत्र और पारदर्शी चुनाव के पैरोकार हैं क्योंकि ऐसी प्रक्रिया से उनकी (निर्वाचित व्यक्तियों की) विश्वसनीयता एवं वैधता खूब बढ़ेगी।

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