नई दिल्ली: केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को लेकर उठे विवाद के बीच फिल्म पर आपत्ति जताई। अनिल एंटनी ने अपनी पार्टी और नेता राहुल गांधी से अलग रुख अपनाते हुए ट्विटर पर एक ट्वीट में कहा कि भारतीय संस्थानों पर ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर के विचारों को रखना देश की संप्रभुता को "कमजोर" करेगा।
उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, "भारतीय जनता पार्टी के साथ बड़े मतभेदों के बावजूद मुझे लगता है कि भारतीय पूर्वाग्रहों के एक लंबे इतिहास के साथ ब्रिटेन के एक राज्य प्रायोजित चैनल बीबीसी, और इराक युद्ध के पीछे मस्तिष्क वाले जैक स्ट्रॉ के विचारों को भारतीय संस्थानों पर रखने वाले लोग एक खतरनाक मिसाल कायम कर रहे हैं, हमारी संप्रभुता को कमजोर करेगा।"
यह टिप्पणी उसी दिन आई जब राहुल गांधी ने अपनी 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान जम्मू में संवाददाताओं से बात करते हुए भारत में डॉक्यूमेंट्री को ऑनलाइन साझा करने से रोकने के सरकार के प्रयासों पर सवाल उठाया। गांधी ने कहा था, "अगर आपने हमारे शास्त्रों को पढ़ा है, अगर आपने भगवत गीता या उपनिषदों को पढ़ा है...आप देख सकते हैं कि सच्चाई हमेशा सामने आती है।"
उन्होंने आगे कहा था, "आप प्रतिबंध लगा सकते हैं, आप प्रेस को दबा सकते हैं, आप संस्थानों को नियंत्रित कर सकते हैं, आप सीबीआई, ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) का उपयोग कर सकते हैं...लेकिन सच तो सच है। सत्य चमकता है। बाहर निकलने की गंदी आदत है। इसलिए कितनी भी पाबंदी, दमन और लोगों को डरा कर रखना सच को सामने आने से नहीं रोक सकता।" अनिल एंटनी का बयान केरल में पार्टी के रुख के खिलाफ था, जहां इसकी विभिन्न इकाइयों ने 2002 के गुजरात दंगों पर विवादास्पद वृत्तचित्र की स्क्रीनिंग की घोषणा की थी।
केंद्र ने पिछले सप्ताह डॉक्यूमेंट्री के लिंक साझा करने वाले कई यूट्यूब वीडियो और ट्विटर पोस्ट को ब्लॉक करने का निर्देश दिया था। दो भाग वाली बीबीसी डॉक्यूमेंट्री, जो दावा करती है कि उसने 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित कुछ पहलुओं की जांच की थी, को विदेश मंत्रालय द्वारा एक "प्रचार टुकड़ा" के रूप में खारिज कर दिया गया है जिसमें निष्पक्षता की कमी है और "औपनिवेशिक मानसिकता" को दर्शाता है। केंद्र सरकार के कदम को "सेंसरशिप" लगाने के लिए कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों से तीखी आलोचना मिली है।