कांग्रेस यह पहचानने में विफल रही कि करिश्माई नेतृत्व नहीं रहा: मुखर्जी

By भाषा | Updated: January 5, 2021 21:11 IST2021-01-05T21:11:35+5:302021-01-05T21:11:35+5:30

Congress fails to recognize that charismatic leadership no longer exists: Mukherjee | कांग्रेस यह पहचानने में विफल रही कि करिश्माई नेतृत्व नहीं रहा: मुखर्जी

कांग्रेस यह पहचानने में विफल रही कि करिश्माई नेतृत्व नहीं रहा: मुखर्जी

नयी दिल्ली, पांच जनवरी पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत प्रणब मुखर्जी ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि कांग्रेस का अपने करिश्माई नेतृत्व के खत्म होने की पहचान नहीं कर पाना 2014 के लोकसभा में उसकी हार के कारणों में से एक रहा होगा।

मुखर्जी ने अपने संस्मरण ‘द प्रेसिडेंसियल ईयर्स, 2012-2017’ में यह भी कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल में संसद को सुचारू रूप से चलाने में विफल रही और इसकी वजह उसका अहंकार और अकुशलता है।

उन्होंने यह पुस्तक पिछले साल अपने निधन से पहले लिखी थी। मंगलवार को यह पुस्तक बाजार में आई।

उन्होंने इस पुस्तक में यह भी लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा करने से पहले उनके साथ इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं की थी, लेकिन इससे उन्हें हैरानी नहीं हुई क्योंकि ऐसी घोषणा के लिए आकस्मिकता जरूरी है।

पूर्व राष्ट्रपति ने यह उल्लेख किया है कि 2014 के लोकसभा चुनाव की मतगणना वाले दिन उन्होंने अपने सहायक को निर्देश दिया था कि उन्हें हर आधे घंटे पर रुझानों के बारे में सूचित किया जाए।

उन्होंने लिखा है, ‘‘नतीजों से इस बात की राहत मिली कि निर्णायक जनादेश आया, लेकिन किसी समय मेरी अपनी पार्टी रही कांग्रेस के प्रदर्शन से निराशा हुई।’’

उन्होंने पुस्तक में लिखा है, ‘‘यह यकीन कर पाना मुश्किल था कि कांग्रेस सिर्फ 44 सीट जीत सकी। कांग्रेस एक राष्ट्रीय संस्था है जो लोगों की जिदंगियों से जुड़़ी है। इसका भविष्य हर विचारवान व्यक्ति के लिए हमेशा सोचने का विषय होता है।’’

कांग्रेस की कई सरकारों में केंद्रीय मंत्री रहे मुखर्जी ने 2014 की हार के लिए कई कारणों का उल्लेख किया है।

उन्होंने लिखा है, ‘‘मुझे लगता है कि पार्टी अपने करिश्माई नेतृत्व के खत्म होने की पहचान करने में विफल रही। पंडित नेहरू जैसे कद्दावर नेताओं ने यह सुनिश्चित किया कि भारत अपने अस्तित्व को कायम रखे और एक मजबूत एवं स्थिर राष्ट्र के तौर पर विकसित हो। दुखद है कि अब ऐसे अद्भुत नेता नहीं हैं, जिससे यह व्यवस्था औसत लोगों की सरकार बन गयी।’’

इस पुस्तक में उन्होंने राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपने सौहार्दपूर्ण संबंधों का भी उल्लेख किया है।

हालांकि, मुखर्जी ने इस पुस्तक में नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान संसद को सुचारू से चलाने में विफलता को लेकर राजग सरकार की आलोचना की है।

उन्होंने लिखा है, ‘‘मैं सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच कटुतापूर्ण बहस के लिए सरकार के अहंकार और स्थिति को संभालने में उसकी अकुशलता को जिम्मेदार मानता हूं।’’

मुखर्जी के मुताबिक, सिर्फ प्रधानमंत्री के संसद में उपस्थित रहने भर से इस संस्था के कामकाज में बहुत बड़ा फर्क पड़ता है।

उन्होंने पुस्तक में कहा है, ‘‘चाहे जवाहलाल नेहरू हों, या फिर इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी अथवा मनमोहन सिंह हों, इन्होंने सदन में अपनी उपस्थिति का अहसास कराया। प्रधानमंत्री मोदी को अपने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों से प्रेरणा लेनी चाहिए और नजर आने वाला नेतृत्व देना चाहिए।

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Web Title: Congress fails to recognize that charismatic leadership no longer exists: Mukherjee

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