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संसद में सोनिया गांधी ने उठाया 'मनरेगा' का मुद्दा, बजट में कटौती को लेकर जताई चिंता

By शीलेष शर्मा | Updated: March 31, 2022 14:34 IST

सोनिया गांधी लोकसभा में मनरेगा का मुद्दा उठाते हुए इसके बजट में कटौती को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने मांग रखी कि मनरेगा के लिए उचित बजट का आवंटन किया जाए।

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ठळक मुद्देसोनिया गांधी ने कहा- मनरेगा के लिए आवंटित बजट में लगातार कटौती से यह कमजोर पड़ रहा हैमनरेगा के लिए उचित बजट का आवंटन हो, काम के 15 दिनों के भीतर मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित हो: सोनिया गांधी

नई दिल्ली: कांग्रेस ने गुरुवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर महंगाई और अन्य मुद्दों पर चौतरफा हमला करते हुए संसद के अंदर और बाहर घेरने की कोशिश की। पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोकसभा में मनरेगा का मुद्दा उठाते हुये बजट राशि को जहां बढ़ाने की मांग की तो राहुल ने पार्टी सांसदों के साथ पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों, महंगाई को लेकर धरना-प्रदर्शन किया। उन्होंने ऐलान किया कि देश भर में इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस आंदोलन करेगी।

सोनिया गांधी ने उठाया मनरेगा का मुद्दा

सोनिया ने मनरेगा का मुद्दा उठाते हुये कहा मनरेगा के लिए आवंटित बजट में लगातार कटौती की जा रही है, जिसके कारण काम मिलने और समय पर मजदूरी के भुगतान की कानूनी गारंटी कमजोर पड़ रही है। सोनिया गांधी ने कहा कि इस साल मनरेगा का बजट 2020 की तुलना में 35 प्रतिशत कम है, जबकि बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। 

सोनिया ने कहा कि बजट में कटौती से कामगारों के भुगतान में देरी होती है, जिसे माननीय सुप्रीम कोर्ट ने ‘फोर्स्ड लेबर’ माना है। इसी वर्ष 26 मार्च को दूसरे सभी राज्यों ने इस योजना के तहत अपने खाते में नकारात्मक संतुलन दिखाया है, जिसमें कामगारों को भुगतान का लगभग 5,000 करोड़ रुपए बकाया है।

सोनिया गांधी ने रखी मनरेगा में ये मांगे

सोनिया गांधी की मांग थी कि मनरेगा के लिए उचित बजट का आवंटन किया जाए, काम के 15 दिनों के भीतर कामगारों को मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित हो, मजदूरी भुगतान में देरी की स्थिति में कानूनी तौर पर मुआवजे का भुगतान भी सुनिश्चित हो और इसके साथ ही राज्यों की वार्षिक कार्य योजनाओं को बिना किसी देरी के तुरंत निर्धारित किया जाए।

इधर राहुल ने धरना-प्रदर्शन के बाद मीडिया से कहा कि पिछले 10 दिन में 9 बार पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाये गए हैं और इसकी चोट सीधे सबसे गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों पर पड़ती है। उनकी मांग थी कि जो कीमतें  बढ़ती जा रही है, महंगाई बढ़ती जा रही है और जो पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं, इनको सरकार कंट्रोल करे और पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाना बंद करे। 

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