एमएसपी को और प्रभावी बनाने व शून्य बजट आधारित कृषि को बढ़ावा देने के लिए बनेगी समिति: मोदी
By भाषा | Updated: November 19, 2021 19:58 IST2021-11-19T19:58:36+5:302021-11-19T19:58:36+5:30

एमएसपी को और प्रभावी बनाने व शून्य बजट आधारित कृषि को बढ़ावा देने के लिए बनेगी समिति: मोदी
नयी दिल्ली, 19 नवंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को शून्य बजट आधारित कृषि को बढ़ावा देने, देश की बदलती जरूरतों के अनुसार खेती के तौर-तरीकों को बदलने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को अधिक प्रभावी व पारदर्शी बनाने के लिए एक समिति के गठन की घोषणा की।
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले की घोषणा करने के बाद राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र के लिए सरकार ने एक और महत्वपूर्ण फैसला किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘शून्य बजट आधारित कृषि को बढ़ावा देने, देश की बदलती जरूरतों के अनुसार फसल पैटर्न बदलने और एमएसपी को अधिक प्रभावी तथा पारदर्शी बनाने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि इस समिति में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, किसानों के प्रतिनिधियों के साथ साथ कृषि वैज्ञानिक और कृषि अर्थशास्त्री भी शामिल होंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने पांच दशक के लंबे सार्वजनिक जीवन में किसानों की मुश्किलों और चुनौतियों का बहुत करीब से अनुभव किया है और इसी के मद्देनजर उनकी सरकार ने कृषि विकास व किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के हित में काम करती रही है और आगे भी करेगी।
ज्ञात हो कि विभिन्न किसान संगठन पिछले लगभग एक साल से केंद्र के तीन कृषि कानूनों --कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 -- के खिलाफ राजधानी दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर आंदोलन कर रहे है।
इन तीनों कानूनों को निरस्त करने के अलावा एमएसपी के लिए कानून बनाना उनकी प्रमुख मांगों में शुमार रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों को उनकी मेहनत के बदले उपज की सही कीमत मिले, इसके लिए उनकी सरकार ने कदम उठाए तथा ग्रामीण बाजारों के ढांचागत विकास को मजबूत किया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने एमएसपी तो बढ़ाई ही, साथ ही साथ रिकॉर्ड सरकारी खरीद केंद्र भी बनाए हैं। हमारी सरकार द्वारा की गई उपज की खरीद ने पिछले कई दशकों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। देश की 1000 से ज्यादा मंडियों को ई-एनएएम योजना से जोड़कर हमने किसानों को कहीं पर भी अपनी उपज बेचने का एक मंच दिया है। इसके साथ ही देशभर की कृषि मंडियों के आधुनिकीकरण पर भी हमने करोड़ों रुपये खर्च किए।’’
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि एमएसपी पर बनने वाली समिति जो रिपोर्ट सौंपेगी, वह कृषक समुदाय के लिए लाभकारी होगी।
उन्होंने रेखांकित किया कि सरकार ने एमएसपी उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना तय करने का फैसला किया है।
तोमर ने कहा कि केंद्र ने धान व गेहूं के अलावा दाल, तेल बीजों और मोटे अनाजों की भी एमएसपी दर पर खरीदी शुरु की है।
खाद्यान्नों की सरकारी खरीदी व वितरण करने वाली नोडल एजेंसी भारतीय खाद्य निगम ने पिछले खरीफ व रबी के मौसम में धान व गेहूं की रिकार्ड खरीदी की है।
वर्तमान में सरकार एमएसपी मूल्य का निर्धारण कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर करती है।
आयोग एमएसपी के निर्धारण में खेती की लागत के अलावा उत्पाद की मांग और आपूर्ति, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार मूल्य रुझान और कृषि एवं गैर-कृषि क्षेत्रों के बीच व्यापार की शर्तों सहित कुछ अन्य कारकों पर विचार करती है।
एमएसपी की घोषणा धान, ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का, अरहर, मूंग, उड़द, कपास, मुंगफली, सूरजमुखी के बीज, सोयाबीन और तिल जैसी खरीफ की फसलों पर देती है।
इनके अलावा गेहूं, जौ, चना, मसूर, सफेद सरसों व सरसों और तोड़िया जैसी रबी फसलों पर भी एमएसपी की घोषणा की गई है।
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