पटनाः लोजपा के संस्थापक दिवंगत रामविलास पासवान के पुत्र व बिहार में जमुई के सांसद चिराग पासवान ने आज कहा है कि लोजपा से निकाले गए सभी पांच सांसद अब निर्दलीय हैं.
ऐसे में लोजपा सांसद के रूप में उन्हें अगर केंद्र में मंत्री बनाया जाता है तो इसपर उन्हें आपत्ति है. इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अपने चाचा पशुपति पारस पर जबर्दस्त हमला बोला. पटना में मीडिया से मुखातिब होते हुए उन्होंने एक बार फिर अपने चाचा पर विश्वासघात का आरोप लगाया. चिराग ने कहा कि मंत्री बनने के लालच में चाचा ने परिवार को भुला दिया.
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान को अपमानित करने का काम किया. लेकिन चाचा आज उन्हीं की गोद में जाकर बैठे हुए हैं. उन्होंने कहा कि जब मेरे पिता बीमार थे तो नीतीश कुमार ने उनका हालचाल तक नहीं पूछा था. चिराग ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने सोमवार को पिताजी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी.
विपक्ष ने भी उन्हें याद किया, लेकिन नीतीश कुमार ने उन्हें श्रद्धांजलि तक नहीं दी और हमारे चाचा उनके साथ दोस्ती निभा रहे हैं. चिराग ने कहा कि मंत्री पद इतना बडा नहीं हो सकता कि उसके लिए पार्टी और परिवार को छोड़ दिया जाए. उन्होंने कहा कि मुझे अगर ऐसे शर्तों पर मंत्री बनना होता तो मैं कभी मंत्री बनना कबूल नहीं करता.
चाचा ने मेरे पिता रामविलास पासवान के विचारों को पांव तले कुचलने कर एक अलग गुट बनाने का काम किया. पार्टी ने इन सभी को निष्कासित कर दिया है. चिराग ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद सबसे पहले जदयू में टूट होगी. ऐसा उनका पूर्वानुमान है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से हमारे पिता ने कोई समझौता नहीं किया, उसी तरह मैं भी कोई समझौता नहीं करूंगा.
विधानसभा चुनाव की बाबत चिराग ने कहा कि चुनाव अकेले लडने का फैसला उनके पिता रामविलास पासवान का था. उन्होंने कहा कि उनके विरोधी एक हर दलित को आगे बढ़ने से रोकना चाहते हैं. कल उन्होंने बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण करने से रोक दिया. चिराग ने कहा कि वह धारा के विपरीत नाव चला रहे हैं.
उनके पापा ने उन्हें यही सिखाया है. एनडीए के साथी मीडिया में झूठ बोल रहे हैं कि उन्हें बिहार विधानसभा चुनाव में 15 सीटें दी जा रही थीं. ये गलत है. उन्होंने कहा कि चौधरी महबूब अली कैसर के बेटे के लिए सीट नहीं मिल रही थी. वीणा देवी की बेटी के लिए सीट नहीं मिल रही थी.
चंदन सिंह के चार-पांच उम्मीदवार थे, जिन्हें वह नवादा की सीटों से चुनावी मैदान में उतारना चाहते थे, उन्हें भी सीट नहीं मिल रही थी. प्रिंस राज के बडे़ भाई के लिए रोसड़ा से सीट नहीं मिल रही थी. विधानसभा चुनाव में इनमें से कोई भी 15 सीट पर चुनाव लड़ने को तैयार नहीं था. एनडीए के अन्य साथियों के फैसले से इनमें से कोई भी सहमत नहीं था.