चीन समय के साथ खेलने में माहिर है: पूर्व विदेश सचिव गोखले

By भाषा | Updated: August 4, 2021 18:27 IST2021-08-04T18:27:11+5:302021-08-04T18:27:11+5:30

China is adept at playing with the times: Former Foreign Secretary Gokhale | चीन समय के साथ खेलने में माहिर है: पूर्व विदेश सचिव गोखले

चीन समय के साथ खेलने में माहिर है: पूर्व विदेश सचिव गोखले

नयी दिल्ली, चार अगस्त चीन की वार्ता की रणनीति पर पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले का कहना है कि यह देश समय के साथ हेरफेर करने में माहिर है और स्वयं को पीड़ित दिखाने का हुनर इसके इस खेल की एक चाल है।

गोखले ने कहा कि चीन की रणनीति और दांव अलग-अलग हो सकते हैं जो स्थिति पर तथा दोनों पक्षों की तुलनात्मक शक्ति पर निर्भर करते हैं, लेकिन चीन जिस तरह से बाहरी दुनिया से निपटता है उसके आधार पर इसकी एक साझा विशेषता को समझना संभव है।

उन्होंने सुझाव दिया, ‘‘भारतीय वार्ताकारों को चीन के साथ वार्ता की तैयारी करने के लिए इसे बखूबी याद रखना चाहिए । ’’

गोखले ने अपनी नयी पुस्तक ‘‘द लॉंग गेम: हाऊ द चाइनीज निगोशिएट विद इंडिया’’ में यह टिप्पणी की है। पुस्तक का प्रकाशन पेंग्विन रैंडम हाउस ने किया है।

उनकी यह टिप्पणी, भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध जारी रहने के मद्देनजर आई है।

पुस्तक में कहा गया है, ‘‘चीन समय के साथ खेलने में माहिर है। यदि वार्ताकार चीनी मांगों के आगे झुकने को अनिच्छुक रहेंगे, तो वे (चीनी पक्ष) चीन के लंबे इतिहास का और संयम प्रदर्शित करने की उनकी क्षमता का हवाला देंगे।’’

गोखले ने लिखा है कि चीन ने हमेशा ही वार्ता के लिए एजेंडा तय करने की कोशिश की है और इन माध्यमों के जरिए उसने वार्ता की दिशा निर्धारित करने की कोशिश की तथा उसे घेर सकने वाले विषयों पर चर्चा टालने की कोशिश की।

उन्होंने सुझाव दिया कि इसलिए, यह जरूरी है कि दूसरा पक्ष वार्ता के दौरान अपने हित के मुद्दे उठाए, भले ही वे औपचारिक एजेंडा में शामिल नहीं हों। यह चीन को इस बात से अवगत कराने का एक तरीका होगा कि चर्चा में अपने मुद्दों को रखने में दूसरे पक्ष का भी समान हित और अधिकार है।

पूर्व विदेश सचिव का यह भी मानना है कि किसी भी विवादित मुद्दे पर चीनी पक्ष मुद्दे के विस्तार में जाने से पहले नियमित रूप से सिद्धांतों की दुहाई देता है।

उन्होंने लिखा है, ‘‘इसलिए, भारतीय पक्ष को चीन द्वारा प्रस्तावित सिद्धांतों की करीबी पड़ताल करनी चाहिए और उन पर उस तरीके से बातचीत करनी चाहिए जो मुद्दे से भटकाव की चीन की कोशिशों को सीमित करे और चीनी पक्ष को किसी मुद्दे पर भारतीय रुख के इर्द गिर्द बनाए रखे।’’

उन्होंने विवादित या महत्वपूर्ण मुद्दों पर चीन की दो तरकीबों का वर्णन करते हुए कहा, ‘‘जब तक संभव होगा वे ‘ना’ कहते रहेंगे , और ऐसा कर, सभी विकल्पों को वार्ता की मेज पर खुला रखेंगे।’’

गोखले ने कहा, ‘‘दूसरी चीनी तरकीब यह है कि वे चुप्पी साध लेंगे।’’

पुस्तक में द्विपक्षीय संबंध की इन छह महत्वपूर्ण घटनाओं का जिक्र किया गया है--30 दिसंबर 1949 को भारत द्वारा चीन को मान्यता देना, 29 अप्रैल 1954 को चीन तिब्बत क्षेत्र और भारत के बीच व्यापार समझौता, 1998 में भारत का परमाणु परीक्षण, 11 अप्रैल 2005 को चीन द्वारा सिक्किम को भारत के हिस्से के तौर पर औपचारिक मान्यता देना, 2008 में 123 समझौते पर भारत-चीन कूटनीतिक वार्ता और एक मई 2019 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 1267 प्रस्ताव के जरिए मसूद अजहर को आतंकवादी घोषित करना।

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