गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार, 20 मार्च को कहा कि उनकी सरकार 2026 तक राज्य से बाल विवाह की कुप्रथा को पूरी तरह समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य विधानसभा में कांग्रेस विधायक कमलाख्या डे पुरकायस्थ के एक सवाल का जवाब देते हुए असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने बाल विवाह को समाप्त करने के लिए कई उपाय किए हैं।
हिमंत बिस्वा सरमा ने बताया कि उनकी सरकार ने वाल विवाह को रोकने के लिए इस बजट में 200 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं ताकि प्रत्येक बाल विवाह मामले के लिए एक विशेष अधिवक्ता नियुक्त कर सकें। मुख्यमंत्री ने आगे कहा, "हम राज्य में बाल विवाह के खिलाफ अभियान शुरू करेंगे और हर 2-3 महीने में लोगों को गिरफ्तार करेंगे। हम एक हेल्पलाइन नंबर खोलेंगे। हमने अब तक 900 मामलों में चार्जशीट की है। हमने कानून के अनुसार काम किया है।" असम के सीएम ने यह बी बताया कि उनकी सरकार ने लोगों को इस कुप्रथा के बारे में जागरूक करने के लिए भी पहल की है।
एनएनआई की रिपोर्ट के अनुसार असम में बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत राज्य में 2017 में 50 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था। 2018 में 106 व्यक्तियों, 2019 में 156 व्यक्तियों, 2020 में 216, 2021 में 166, 2022 में 257 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि साल 2023 मे असम सरकार ने बाल विवाह रोकने के लिए सख्ती दिखाई है और इस साल के पहले दो महीनों में 3,098 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
राज्य में 2017 में 932 व्यक्तियों को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO) के तहत गिरफ्तार किया गया था, जबकि 2018 में 1393, 2019 में 1428, 2020 में 1471, 2021 में 1500, 2022 में 1537 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था। 2023 में पाक्सो के तहत शुरूआती दो महीनों में ही 647 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
बता दें कि असम पिछले कई सालों से बाल विवाह की कुरीति से जूझ रहा है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार असम में मातृ और शिशु मृत्यु दर सबसे ज्यादा है। इसकी प्रमुख वजह बाल विवाह है। इसके बाद कैबिनेट ने बाल विवाह करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रस्ताव पास किया था। इसके तहत 14 साल से कम उम्र के लड़का या लड़की से शादी करने के आरोपी पर पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है। साथ ही बाल विवाह कानून के तहत मामला दर्ज किया जा रहा है।