बच्चे का अपहरण मामला : बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई आठ नवंबर तक स्थगित

By भाषा | Updated: November 3, 2021 12:30 IST2021-11-03T12:30:29+5:302021-11-03T12:30:29+5:30

Child abduction case: Hearing on habeas corpus petition adjourned till November 8 | बच्चे का अपहरण मामला : बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई आठ नवंबर तक स्थगित

बच्चे का अपहरण मामला : बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई आठ नवंबर तक स्थगित

कोच्चि, तीन नवंबर केरल उच्च न्यायालय ने बुधवार को माकपा की स्थानीय समिति के सदस्य की बेटी अनुपमा एस चंद्रन द्वारा अपने बच्चे को वापस पाने के लिए दायर की गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई को आठ नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया। अनुपमा ने आरोप लगाया है कि उसके बच्चे को गोद देने के लिए उसके माता-पिता ने उसकी जानकारी के बिना पिछले साल प्रक्रिया शुरू कर दी थी।

पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान पूछा, ‘‘ आपने क्या फैसला किया है? क्योंकि हमने पाया है कि मामला हर जगह से वापस ले लिया गया है।’’

अनुपमा की ओर से अदालत में कोई पेश नहीं हुआ था, इसलिए न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति सी जयाचंद्रन की पीठ ने मामले की सुनवाई आठ नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी।

अनुपमा की वकील आशा उन्नीथन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कारण वह अदालत में पेश नहीं हो सकीं। उन्होंने भी मामले की सुनवाई आठ नवंबर तक स्थगित होने की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि अगली सुनवाई को याचिका वापस ले ली जाएगी।

अदालत ने मंगलवार को स्पष्ट कर दिया था कि वह याचिका पर कोई सुनवाई नहीं करेगी, क्योंकि अभी तक बच्चे को अवैध रूप से किसी को गोद नहीं दिया गया है। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि एक पारिवारिक अदालत ने बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी और बच्चा आंध्र प्रदेश में अभी अपने दत्तक अभिभावक के पास है।

पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के अत्यधिक सक्रिय होने और बच्चे को किसी को जबरन सौंपने की वजह नजर नहीं आती। ‘‘ इसलिए आप चाहें तो याचिका वापस ले सकते हैं या हम इसे खारिज कर देंगे। हम याचिका खारिज नहीं करना चाहते।’’

अनुपमा ने अपनी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में पुलिस को बच्चे को पेश करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था, जिसे उन्होंने जन्म के बाद से ही नहीं देखा है। उन्होंने बच्चे को पिछले साल 19 अक्टूबर को जन्म दिया था।

अनुपमा हाल ही में तब चर्चा में आ गई थी, जब उन्होंने आरोप लगाया था कि उसके चार दिन के बच्चे को उसके माता-पिता उसकी सहमति और जानकारी के बिना ले गए तथा उसे त्याग दिया। अनुपमा के माता-पिता ने आरोप को खारिज किया है।

अनुपमा ने अपने माता-पिता के अलावा पुलिस और बाल कल्याण समिति पर भी आरोप लगाया था कि उसने मिलकर उसके बेटे को ले जाने की साजिश रची। अनुपमा ने आरोप लगाया है कि हालांकि उसने अप्रैल से कई बार पुलिस में इस बारे में शिकायत की कि उसके माता-पिता ने क्या किया, लेकिन वह परिवार के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज करने को लेकर अनिच्छुक थी।

पेरुर्कडा पुलिस ने हालांकि बाद में कहा कि उसके माता-पिता, बहन और पति और पिता के दो दोस्तों सहित छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने कहा कि देरी इसलिए हुई क्योंकि वे कानूनी राय का इंतजार कर रहे थे।

एक पारिवारिक अदालत ने पिछले हफ्ते की शुरुआत में, बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी और पुलिस को सीलबंद लिफाफे में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था।

परिवार अदालत ने सरकार से भी यह स्पष्ट करने को कहा था कि बच्चे को छोड़ दिया गया था या गोद लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी।

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Web Title: Child abduction case: Hearing on habeas corpus petition adjourned till November 8

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