ई-कॉमर्स से नहीं खुद 'घर जाकर' शराब पिलाएगी सरकार, इन राज्यों ने लिया फैसला

By एसके गुप्ता | Published: May 6, 2020 05:47 PM2020-05-06T17:47:02+5:302020-05-06T17:47:02+5:30

शराब कंपनियों की फेडरेशन कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन एल्कोहलिक बेवरेज कंपनिज (सीआईएबीसी) ने कोविड-19 की स्थिति पर राज्यों को सलाह दी कि वह ई-कॉमर्स कंपनियों की सहायता से शराब की बिक्री करें। लॉकडाउन में इससे सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन हो सकेगा।

Chhattisgarh, Punjab and West Bengal govt decided delivery of liquor themselves not by e-commerce | ई-कॉमर्स से नहीं खुद 'घर जाकर' शराब पिलाएगी सरकार, इन राज्यों ने लिया फैसला

दिल्ली की 800 शराब दुकानों में से मात्र 40 दुकानों को खोलने की अनुमति दी गई है।

Highlightsराज्य सरकारों ने खुद घर-घर शराब पहुंचाने का फैसला किया है।सरकार को सालाना 2.5 लाख करोड़ रुपए का राजस्व शराब  बिक्री से प्राप्त होता है।

नई दिल्ली: शराब से होने वाली कमाई का ही चमत्कार इसे कह सकते हैं कि सोमरस के दीवानों को राज्य सरकारें खुद उनके घर जाकर मधुशाला का स्वाद चखाएंगी। छत्तीसगढ़, पंजाब और पश्चिम बंगाल सरकारों ने तय किया है कि वह खुद घर-घर जाकर शराब की होम डिलीवरी करेंगी। हालांकि ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से होम डिलीवरी को लेकर तैयारी की जा रही थी लेकिन इससे शराब की कमाई का हिस्सा बंटने की आशंका को देखते हुए राज्य सरकारों ने खुद घर-घर बोतल पहुंचाने का फैसला किया है।

लॉक डाउन 3.0 में राज्य सरकारों ने अपना खाली खजाना भरने के लिए शराब की बिक्री खोल दी है। क्योंकि सरकार को सालाना 2.5 लाख करोड़ रुपए का राजस्व शराब  बिक्री से प्राप्त होता है। शराब की दुकानों के बाहर लगी लंबी लाइनें और शराब खरीदने की मारामारी से यही झलक रहा है। जिससे सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की खुले आम धज्जियां उड़ रही हैं। शराब कंपनियों की फेडरेशन कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन एल्कोहलिक बेवरेज कंपनिज (सीआईएबीसी) ने कोविड-19 की स्थिति पर राज्यों को सलाह दी कि वह ई-कॉमर्स कंपनियों की सहायता से शराब की बिक्री करें। लॉकडाउन में इससे सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन हो सकेगा। इसके तहत छत्तीसगढ़ सरकार ने एक वेबसाइट बनाकर उसके माध्यम से शराब बिक्री करना सुनिश्चित किया है। पंजाब सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार ने भी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराकर अपने यहां खुली शराब की दुकानों के माध्यम से घर-घर शराब डिलीवरी करना सुनिश्चित किया है। राज्य सरकारों ने इसके दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए हैं।

 फेडरेशन का कहना :

शराब कंपनियों की फेडरेशन कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन एल्कोहलिक बेवरेज कंपनिज (सीआईएबीसी) के महानिदेशक विनोद गिरी ने लोकमत से विशेष बातचीत में कहा कि राज्य सरकारें ई-कॉमर्स कंपनियों के माध्यम से सरकार शराब बेचना नहीं चाहती है। क्योंकि वह शराब की बिक्री पर अपना नियंत्रण रखना चाहती है। इसलिए दिल्ली में लंबी लाइनें लगी हैं। छत्तीसगढ़, पंजाब और पश्चिम बंगाल सरकार लोगों को ऑनलाइन डिमांड पर उनके घर शराब पहुंचा रही है। इन तीन राज्यों ने अच्छी पहल की है। इससे सोशल डिस्टेंसिंग तो बनी रहेगी। गिरी ने कहा कि बुधवार को वह दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से भी मिले। जिन्हें शराब की बोतल पर लिखी एमआरपी से 70 फीसदी ज्यादा कीमत लेने पर विरोध जताया और कहा कि इससे सरकार का राजस्व बढ़ेगा नहीं बल्कि कम होगा। दिल्ली की 800 शराब दुकानों में से मात्र 40 दुकानों को खोलने की अनुमति दी गई है। सरकार ज्यादा दुकानें खोले और बढ़ाया गया सेस वापास ले। क्योंकि पडोसी राज्यों में दिल्ली से सस्ती शराब बिक रही है।

 राज्य सरकारें क्यों ‘पिलाना चाहती हैं शराब’

राज्यों की 15 से 30 फीसदी कमाई का हिस्सा शराब बिक्री से आता है। पिछले साल सरकार को शराब बिक्री से 2.5 लाख करोड रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ था। शराब की 70 से 80 फीसदी बिक्री दुकानों से होती है और 20 से 30 फीसदी बिक्री पब, रेस्तरां और होटल से होती है। लॉकडाउन से सरकार को करीब 30 फीसदी शराब से मिलने वाले राजस्व का नुकसान हुआ है। पिछले साल महाराष्ट्र सरकार को शराब बिक्री से 24 हजार करोड़ रुपए, पंजाब सरकार को 5600 करोड़ रुपए और दिल्ली सरकार को 5500 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ था। 

Web Title: Chhattisgarh, Punjab and West Bengal govt decided delivery of liquor themselves not by e-commerce

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