Chandrayaan-3 landing: चंद्रयान-3 23 अगस्त, 2023 (बुधवार) को लगभग 18:04 IST पर चंद्रमा पर उतरने के लिए तैयार है। अंतरिक्ष यान अब अपने अंतिम गंतव्य, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से थोड़ी ही दूर है। इसरो चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए प्रयास कर रहा है, जिससे भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।
लेकिन इन सबके बीच एक सवाल बार-बार उठ रहा था कि यदि किन्हीं कारणों से परिस्थितियां अनुकूल नहीं हुई तो क्या होगा। अब इस सवाल का जवाब अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र-इसरो, अहमदाबाद के निदेशक नीलेश एम. देसाई ने दिया है।
उन्होंने बताया, "चंद्रयान के चांद पर उतरने से 2 घंटे पहले हम लैंडर और चांद की स्थिति का जायजा लेंगे और उसके बाद लैंडर के चांद पर लैंड कराने पर फैसला लेंगे। अगर हमें लगेगा की लैंडर या चांद की स्थिति उतरने के लिए ठीक नहीं है तो हम इसे 27 अगस्त तक के लिए आगे बढ़ा देंगे। हम 23 अगस्त को लैंडर को लैंड कराने की कोशिश करेंगे।"
चंद्रयान-3 की सबसे बड़ी चुनौती सॉफ्ट लैंडिंग ही है क्योंकि जब पिछली बार चंद्रयान-2 के लैंडर ने चंद्रमा पर उतरने की कोशिश की थी तब यह क्रैश हो गया था और मिशन में इसरो को कामयाबी नहीं मिली थी। इस बार इसरो ने सारी अनुमानित समस्याओं का पहले से ही अंदाजा लगा कर काफी तैयारी की है।
भारत के चंद्र अभियान को जो बात सबसे खास बनाती है वह है उस जगह का चुनाव जहां आगामी 24 अगस्त को चंद्रयान 3 मिशन का रोबोटिक उपकरण उतरेगा। जिस जगह रोबोटिक उपकरण उतरेगा उसका नाम है शेकलटन क्रेटर (Shackleton Crater)। यह एक ऐसी जगह है जहां अब तक दुनिया के किसी भी देश ने अपना लैंडर उतारने का कारनामा नहीं किया है।
शेकलटन क्रेटर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित है। इसकी स्थिति ऐसी है कि क्रेटर के किनारे की चोटियाँ लगभग निरंतर सूर्य के प्रकाश के संपर्क में रहती हैं, आंतरिक भाग हमेशा छाया में रहता है। इसका कारण यह है कि चंद्रमा अपनी धुरी पर पृथ्वी की तुलना में केवल 1.5°, 23.5° पर थोड़ा झुका हुआ है। इस जगह का तापमान -267 डिग्री फारेनहाइट रहता है।
वे स्थान जहां सूर्य कभी नहीं पहुंचता, उन्हें स्थायी छाया वाले क्षेत्र (पीएसआर) के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि शेकलटन क्रेटर जैसे पीएसआर में पानी की बर्फ और अन्य सामग्रियां होती हैं जो आसानी से गैस में बदल जाती हैं क्योंकि ये क्षेत्र इतने ठंडे और अंधेरे में होते हैं। यदि पीएसआर में महत्वपूर्ण जल बर्फ जमा होने की पुष्टि हो जाती है तो भविष्य में मानव अन्वेषण के लिए संसाधन के रूप में उपयोग किया जा सकता है। चंद्रयान-3 का उद्देश्य चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी का पता लगाना ही है।