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Chandrayaan 3: चांद पर उतरने की भारत की एक और कोशिश, 14 जुलाई को इसरो करेगा चंद्रयान-3 लॉन्च, अगस्त में लैंडिंग! जानें इस मिशन की पूरी डिटेल

By विनीत कुमार | Updated: July 11, 2023 13:13 IST

चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग की तैयारी लगभग पूरी हो चली है। इसे तमिलनाडु में श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाना है। जानें इस मिशन की पूरी डिटेल...

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नई दिल्ली: भारत के चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च की तारीख नजदीक आ गई है। इसरो की ओर से 14 जुलाई को की जाने वाले लॉन्चिंग को सफल बनाने के लिए कई एजेंसियां एक साथ मिलकर काम कर रही हैं। तमिलनाडु में श्रीहरिकोटा में जहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र स्थित है, वहां के दूरसंचार विभाग 9 से 14 जुलाई तक आसपास के इलाकों मे खुदाई और सभी निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। 

इस प्रतिबंध का उद्देश्य ऑप्टिकल सहित महत्वपूर्ण संचार लाइनों को किसी भी नुकसान से बचाना है। फाइबर केबल, जिनका उपयोग भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा महत्वपूर्ण प्री-लॉन्च परीक्षण करने के लिए किया जाता है।

क्या है इसरो का चंद्रयान मिशन

इसरो का मिशन चंद्रयान भारत की ओर से चांद पर अन्वेषण या कहें कि रिसर्च कार्यक्रम को समर्पित है। इस मिशन के तहत चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 को पहले लॉन्च किया गया था। पहला मिशन चंद्रयान-1, 2008 में लॉन्च किया गया था और यह  सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया था। 

इसके बाद 2019 में लॉन्च किया गया चंद्रयान -2 भी सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया था, लेकिन इस मिशन का लक्ष्य चंद्रमा पर उतरना था। यह सपना तब अधूरा रह गया था। चंद्रयान-2 के चंद्रमा की सतह पर उतरने से कुछ सेकेंड पहले तकनीकी गड़बड़ी का शिकार हुआ और यह चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

वहीं, चंद्रयान-3 में एक स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल, एक प्रोपल्शन मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है। इसके उद्देश्यों में अंतरग्रहीय मिशनों के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों का विकास और प्रदर्शन शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार, लैंडर में पूर्व निर्धारित चंद्र स्थल पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और रोवर को तैनात करने की क्षमता होगी, जो चंद्रमा की सतह का विश्लेषण करेगा।

जैसे-जैसे लॉन्च की तारीख करीब आ रही है, आइए पिछले चंद्रयान मिशनों पर एक नजर डालें और चंद्रयान-3 के बारे में भी डिटेल जानते हैं।

चंद्रयान-1 के बारे में

22 अक्टूबर 2008 को, भारत ने पीएसएलवी रॉकेट का उपयोग करके चंद्रयान -1 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा में लॉन्च किया। चंद्रयान-1 ने उसी वर्ष 8 नवंबर को सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया।

अगले चार दिनों में, इसने चंद्रमा की सतह से लगभग 100 किलोमीटर (62 मील) ऊपर एक गोलाकार कक्षा हासिल करने के लिए विशिष्ट अंतराल पर अपने इंजनों का उपयोग किया। इससे अंतरिक्ष यान को अपने 11 उपकरणों का उपयोग करके चंद्रमा का बारीकी से अध्ययन करने की अनुमति मिली। इन उपकरणों में से लगभग आधे नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा प्रदान किए गए थे। 

द प्लैनेटरी सोसाइटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऑर्बिटर के साथ संचार 29 अगस्त 2009 को टूट गया था, लेकिन मिशन ने चंद्रमा पर पानी की खोज सहित अपने मुख्य उद्देश्यों को पूरा किया।

चंद्रयान-1 लॉन्च करने का विचार इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. कस्तूरीरंगन का था। चंद्रमा पर पानी की खोज चंद्रयान-1 मिशन का एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक लक्ष्य था। नासा ने पानी की खोज में सहायता के लिए दो उपकरण, मिनिएचर सिंथेटिक एपर्चर रडार (मिनी-एसएआर) और मून मिनरलोजिकल मैपर (एम3) का योगदान दिया था। 

चंद्रयान-2 मिशन के बारे में

चंद्रयान-2 का उद्देश्य चंद्रमा पर एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर भेजना था। अंतरिक्ष यान को जुलाई 2019 में लॉन्च किया गया था। ऑर्बिटर सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश भी कर गया, हालांकि रोवर के साथ लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध में सफल लैंडिंग करने में असमर्थ रहा। इसके बावजूद ऑर्बिटर ने ऊपर से चंद्रमा का अध्ययन करने के लिए अपना मिशन जारी रखा।

चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर को सात साल तक काम करने के लिए डिजाइन किया गया है, यह अभी भी काम कर रहा है। वहीं, लैंडर और रोवर को सफलतापूर्वक उतरने के बाद एक चंद्रमा के एक दिन तक करने की उम्मीद थी।

ऑर्बिटर का लक्ष्य चंद्रमा की सतह का मानचित्रण करना, सतह के खनिज विज्ञान और मौलिक प्रचुरता का अध्ययन करना, हाइड्रॉक्सिल और जल बर्फ के संकेतों की खोज करना है।

इस मिशन के लिए भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक विक्रम साराभाई के सम्मान में लैंडर का नाम विक्रम रखा गया। इसकी लैंडिंग चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लगभग 70 डिग्री दक्षिण अक्षांश पर होनी थी। ये हालांकि नहीं हो सका था।

चंद्रयान-3 के बारे में

चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान इसरो द्वारा नियोजित तीसरा चंद्र अन्वेषण मिशन है। इसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और घूमने की पूरी क्षमता का प्रदर्शन करना है।

चंद्रयान -3 में एक लैंडर और रोवर कॉन्फ़िगरेशन शामिल है और इसे श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) एसएचएआर से एलवीएम 3 (लॉन्च व्हीकल मार्क 3) द्वारा लॉन्च किया जाएगा। इसमें एक प्रोपल्शन मॉड्यूल दरअसल लैंडर और रोवर कॉन्फ़िगरेशन को लगभग 100 किमी की चंद्र कक्षा में पहुंचाएगा।

चंद्रयान-3 में चंद्रयान-2 की तरह एक रोवर और लैंडर होगा। हालांकि ऑर्बिटर नहीं है। मिशन का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर खोज करना है, विशेषकर उन क्षेत्रों का पता लगाना है जो अरबों वर्षों से सूर्य के प्रकाश से वंचित हैं।

वैज्ञानिकों और खगोलविदों का मानना है रि  इन अंधेरे क्षेत्रों में बर्फ और मूल्यवान खनिज संसाधनों की उपस्थिति हो सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, अन्वेषण केवल सतह तक ही सीमित नहीं होगा, बल्कि उप-सतह और बाह्यमंडल के अध्ययन पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसमें रोवर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का उपयोग करके पृथ्वी के साथ संचार करेगा।

चंद्रयान-3 कब लॉन्च होगा, क्या है लैंडिंग की तारीख?

इसरो के अनुसार चंद्रयान 14 जुलाई को लॉन्ट होगा और इसे 23-24 अगस्त को चंद्रमा पर लैंड कराने की कोशिश की जाएगी। हालांकि, यह चंद्रमा पर होने वाले सूर्योदय पर निर्भर होगा। अगर इस अगस्त में लैंडिंग का माकूल समय नहीं मिलता है तो सितंबर में एक बार फिर लैंडिंग की कोशिश की जाएगी।  

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