ओडिशा ट्रेन दुर्घटना: 2 जून को पूर्वी भारतीय राज्य ओडिशा में हुई भयानक ट्रेन दुर्घटना की जांच में कई खुलासे हुए हैं। रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की जांच रिपोर्ट के अनुसार ये हादसा स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली में दोष के कारण हुआ। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर स्टेशन मास्टर ने क्रॉसओवर पॉइंट पर सिग्नल के "बार-बार असामान्य व्यवहार" की सूचना दी होती तो यह हादसा नहीं होता।
सीआरएस की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि जब स्टेशन मास्टर एसबी मोहंती ने सिग्नल की स्थिति बदली तब इसमें 14 सेकंड का समय लगना चाहिए था, लेकिन सिग्नल तुरंत बदल गया। यह एक असमान्य घटना थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिग्नल में तत्काल बदलाव इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम की गलत फीड थी और यह स्टेशन मास्टर को पता होनी चाहिए थी।
रिपोर्ट में कहा गया है, "स्टेशन मास्टर को इस असामान्य घटना पर ध्यान देना चाहिए था क्योंकि यह व्यक्तिगत ऑपरेशन के दौरान हुआ था और उन्हें इसके बारे में पता था। उन्हें इस असमान्यता की सूचना देकर कोरोमंडल एक्सप्रेस को आगे बढ़ने की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी।"
बता दें कि 2 जून को हुए इस भयानक हादसे में 275 लोगों की मौत हो गई, जबकि 1100 से अधिक लोग घायल हुए। कई शवों की पहचान होनी अब भी बाकि है ऐसे में प्रशासन द्वारा शवों की पहचान के लिए डीएनए सैंपल का साहरा लिया जा रहा है। भुवनेश्वर नगर निगम की ओर से जानकारी दी गई कि ओडिशा से दिल्लीएम्स में करीब 30 डीएनए नमूने भेजे गए हैं।
2 जून को ओडिशा के बालासोर जिले के बहनागा बाजार स्टेशन पर तीन अलग-अलग पटरियों पर बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गईं। इस मामले की सीबीआई जांच भी चल रही है। रेलमंत्री ने इस हादसे की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी।