वाराणसी: वाराणसी में एचआईवी संक्रमण का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां कम पैसें में टैटू बनावने के चक्कर में दो लोग एचआईवी वायरस से संक्रमित हो गए हैं। इस मामले की जानकारी देते हुए पंडित दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल की एंटी रेट्रो वायरल ट्रीटमेंट सेंटर की डॉ प्रीति अग्रवाल ने बताया कि एक 20 वर्षीय पुरुष और एक 25 वर्षीय महिला सहित 14 लोग जांच क बाद एचआईवी संक्रमित पाए गए।
कैसे पता चला
वाराणसी में कुछ लोगों में पिछले कई दिनों से बुखार के लक्षण थे। इनका वायरल टाइफाइड मलेरिया सहित कई प्रकार के परीक्षण किए गए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बाद में जब एचआईवी परीक्षण किया गया तो सभी बीमारों को एचआईवी संक्रमित पाया गया। ये जानकारी आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात काउंसलिंग में सामने आई। जब इन मरीजों से बात की गई तो पता चला कि किसी में भी एचआईवी संक्रमण अक्षुरक्षित यौन संबंध या संक्रमित खून की वजह से नहीं फैला। जबकि सभी ने कहीं न कहीं अपने शरीर में टैटू बनवाए थे। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को यही आशंका है कि ये सभी मरीज संक्रमित सुई से टैटू बनवाने के कारण एचआईवी की चपेट में आए हैं। सभी मरीजों का इलाज पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल के एंटी रेट्रो वायरल ट्रीटमेंट सेंटर में शुरू हो गया है।
बता दें आजकल युवाओं में शरीर पर अलग-अलग तरह के टैटू बनवाने का फैशन है। टैटू बनाने के लिए सूई का प्रयोग किया जाता है जो सीधे खून के संपर्क में आती है। टैटू बनाने वाली सुई काफी महंगी होती है इसलिए कुछ टैटू बनाने वाले खर्चा बचाने के लिए एक ही सुई से कई लोगों का टैटू बनाते हैं। ये सस्ते भी होते हैं इसलिए कम पैसों में टैटू बनवाने के लिए कुछ लोग ऐसी जगहों पर पहुंच जाते हैं। ऐसे में अगर किसी एक व्यक्ति को एचआईवी संक्रमण है तो बाकी सभी दूसरे लोगों में भी उसी सुई से संक्रमण पहुंच जाता है।
आपको यह भी बता दें कि एचआईवी ही वह वायरस है जिससे एड्स होता है। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति अगर परामर्श के अनुरूप दवाएं न ले तो उन्हें एड्स होने कि सम्भावना बहुत बढ़ जाती है। बिना इलाज के एचआईवी अंततः प्रतिरक्षा प्रणाली में काम आने वाली CD4 कोशिकाओं की संख्या इतनी कम कर देता है कि प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत कमजोर हो जाती है।