UP: कांवड़ यात्रा में हॉकी स्टिक, डंडा और त्रिशूल लेकर चलने पर यूपी में लगी रोक!

By राजेंद्र कुमार | Updated: July 17, 2025 16:54 IST2025-07-17T16:52:40+5:302025-07-17T16:54:58+5:30

प्रदेश पुलिस के बड़े अफसरों के अनुसार, प्रदेश सरकार ने श्रावण मास में 11 जुलाई से शुरू हुई पवित्र कांवड़ यात्रा में कांवडियों की हर सुख सुविधा का ध्यान रखते हुए महाकुंभ जैसी व्यवस्थाएं की है.

Carrying hockey stick, stick and trident during Kanwar Yatra has been banned in UP | UP: कांवड़ यात्रा में हॉकी स्टिक, डंडा और त्रिशूल लेकर चलने पर यूपी में लगी रोक!

UP: कांवड़ यात्रा में हॉकी स्टिक, डंडा और त्रिशूल लेकर चलने पर यूपी में लगी रोक!

लखनऊ: गत 11 जुलाई से शुरू हुई कांवड़ यात्रा के छह दिनों ही कांवड़ियों के खिलाफ मारपीट और अन्य विभिन्न आरोपों में दर्ज हुए मुकदमों को प्रदेश सरकार ने गंभीरता से लिया है. जिसके चलते सहारनपुर रेंज के डीआईजी अभिषेक सिंह ने सहारनपुर, शामली और मुजफ्फरनगर में कांवड़ियों के लाठी, डंडा, त्रिशूल और हॉकी स्टिक लेकर चलने पर रोक लगा दी है. 

डीआईजी ने निर्देश दिया है कि कांवड़ियों से कांवड़ यात्रा के नियमों का सख्ती से पालन कराया जाए. और बिना साइलेंसर की बाइक भी कांवड़ यात्रा में चलने ना दी जाए. इसके साथ ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) ने भी कांवड़ियों से अपील की है कि वह इस प्राचीन तीर्थयात्रा की आध्यात्मिक शुचिता को बनाए रखें. और ऐसे कार्यों से बचें जो कांवड़ यात्रा के महत्व को कम करता हो. .

कांवडियों इन नियमों का करना होगा पालन :

प्रदेश पुलिस के बड़े अफसरों के अनुसार, प्रदेश सरकार ने श्रावण मास में 11 जुलाई से शुरू हुई पवित्र कांवड़ यात्रा में कांवडियों की हर सुख सुविधा का ध्यान रखते हुए महाकुंभ जैसी व्यवस्थाएं की है. कांवड़ियों के गुजरने वाले सभी रास्ते पूरी तरह गड्ढा मुक्त किए गए हैं. कांवडियों के विश्राम, पेयजल, मेडिकल कैंप लेकर मोबाइल शौचालय आदि सुविधाएं भी मुहैया कराई जा रही हैं. 

यूपी के सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध (नोएडा) जिले में कांवड़ यात्रा के मार्ग पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए है. इतने सारे इंतजाम के बाद भी बीते छह दिनों में कांवड़ियों पर गुंडागर्दी, दंगा, राजमार्गों को अवरुद्ध करना, पुलिस अधिकारियों के काम में बाधा डालना, शांति भंग और गलत तरीके से रोकना जैसे करीब दो सौ मामले दर्ज किए गए. 

उन्हें गंभीरता से लेते हुए डीआईजी अभिषेक सिंह ने सहारनपुर, शामली और मुजफ्फरनगर के अधिकारियों के साथ-साथ कांवड़ यात्रा संघ से जुड़े लोगों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मीटिंग की. इसी के बाद उन्होने कांवड़ यात्रा में हॉकी स्टिक, डंडा और त्रिशूल लेकर कांवड़ियों के चलने पर रोक लगाने के आदेश दे दिया. 

अभिषेक सिंह का कहना है कि डाक कांवड़ ओर पैदल चलने वाले कांवड़ियों के लिए जो नियम बनाए गए हैं, उन सभी नियमों का पालन कांवड़ यात्रियों से करवाया जाएगा. किसी कांवड़िए को नियमों की अनदेखी करने की छूट नहीं दी जाएगा और जो भी कांवड़िया यात्रा के दौरान कानून तोड़ेगा उसके खिलाफ कार्रवाई ही जाएगी. कोई कांवडीया कांवड यात्रा में हॉकी स्टिक, त्रिशूल, लाठी-डंडे लेकर ना चले. 

बिना साइलेंसर की बाइक का प्रयोग यात्रा के दौरान ना किया जाए. बिना साइलेंसर की बाइक को जब्त भी किया जा सकता है. इसके अलावा कांवड़ यात्रा में बड़े वाहनों के जरिए कांवड़ लाने वाले लोग उसका साइज और डीजे की लंबाई-चौड़ाई का ध्यान रखें. इन्हे जब्त किया जा सकता है. 

कांवड़ यात्रा की शुचिता को बनाए रखें : 

कांवड़ यात्रा के दौरान हुई हिंसा की हालिया घटनाओं का संज्ञान लेते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने भी कांवड़ियों से इस पवित्र यात्रा की शुचिता को बनाए रखने की अपील की है. महंत रवींद्र पुरी का कहना है कि कांवड़ यात्रा सिर्फ़ एक यात्रा नहीं है. यह भक्ति का एक गहन अनुष्ठान है जो त्रेता युग से चला आ रहा है. जब भगवान परशुराम हरिद्वार से पहली बार कांवड़ लाए थे. 

बाद में श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता को कांवड़ पर बिठाया, जो सेवा, त्याग और भक्ति का प्रतीक है. इस यात्रा पर निकले कांवड़ियों को याद रखना चाहिए कि वह ऐसे पूजनीय व्यक्तियों के पदचिन्हों पर चल रहे हैं. यह यात्रा करुणा और तपस्या की है, न कि आक्रामकता और अराजकता की. 

यात्रा के दौरान कांवड़ियों को संयम और धैर्य के साथ गंगा के जल को लेकर चलना है. इस दौरान हर कांवड़िया मारपीट से बचे, राजमार्गों को अवरुद्ध करने से भी बचे. यह कार्य यात्रा की शुचिता को नष्ट करते हैं. ऐसे कार्यो से बचे. 
 

Web Title: Carrying hockey stick, stick and trident during Kanwar Yatra has been banned in UP

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