"नई बोतल में पुरानी शराब रखकर नए परिणामों की उम्मीद नहीं कर सकते", भारत ने सुरक्षा परिषद सुधारों का मुद्दा फिर से उठाया
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: December 14, 2023 08:55 AM2023-12-14T08:55:38+5:302023-12-14T09:00:02+5:30
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी राजदूत रुचिरा कंबोज ने बहुपक्षीय संस्थानों के विस्तार के लिए भारत के रुख को दोहराते हुए कहा कि बहुपक्षीय संस्थान शायद ही कभी 'मरते' हैं, वे बस 'अप्रासंगिक' हो जाते हैं।
न्यूयॉर्क:संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी राजदूत रुचिरा कंबोज ने बहुपक्षीय संस्थानों के विस्तार के लिए भारत के रुख को दोहराते हुए कहा कि बहुपक्षीय संस्थान शायद ही कभी 'मरते' हैं, वे बस 'अप्रासंगिक' हो जाते हैं।
राजदूत रुचिरा कंबोज ने भारत की ओर से यह बात बीते बुधवार को न्यूयॉर्क में सुरक्षा परिषद सुधारों पर अंतर सरकारी वार्ता में कही। कंबोज ने कहा कि भारत ने सितंबर में यूएनजीए ने 85 से अधिक वैश्विक नेताओं से व्यापक और सार्थक सुधारों के लिए स्पष्ट आह्वान सुना था।
उन्होंने कहा, "वैश्विक नेताओं द्वारा सार्थक सुधारों के आह्वान का स्पष्ट उत्तर दिया जाना चाहिए। हम सभी को यह महसूस करना चाहिए कि घड़ी टिक-टिक कर रही है और वैश्विक चुनौतियों के सामने दूसरी दिशा में मुड़ना कोई विकल्प नहीं है। मैंने सह-अध्यक्षों के समक्ष यह कहा है और मैं फिर से कहती हूं कि बहुपक्षीय संस्थान शायद ही कभी 'मरते' हैं, वे बस 'अप्रासंगिक' हो जाते हैं।"
भारतीय दूत ने दिल्ली की अध्यक्षता में संपन्न हुई जी-20 की बैठक में अफ्रीकी संघ को शामिल करने का हवाला देते हुए कहा कि भारत के इस कदम से जी-20 समूह अधिक "प्रतिनिधि और प्रासंगिक संस्थान" बन गया।
कम्बोज ने आगे कहा, "भारत की पहल पर अफ्रीकी संघ सितंबर में नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में जी20 का स्थायी सदस्य बन गयाॉ। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि वैश्विक दक्षिण से एक महत्वपूर्ण और मूल्यवान आवाज वैश्विक प्रशासन और निर्णय लेने की एक प्रभावशाली संस्था में जुड़ गई है। यह भारत का दृढ़ विश्वास था कि G20 में अफ्रीका की पूर्ण भागीदारी के साथ यह समूह वास्तव में एक अधिक प्रतिनिधि और प्रासंगिक संस्था होगी।”
उन्होंने कहा, "सुधार में इस महत्वपूर्ण कदम से संयुक्त राष्ट्र, जो कि एक बहुत पुराना संगठन है। उसक सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। वर्तमान समय में आखिरकार व्यापक प्रतिनिधित्व, प्रभावशीलता और विश्वसनीयता दोनों के लिए एक आवश्यक शर्त है। भविष्य का शिखर सम्मेलन अगले साल होगा इसलिए यदि मैं ऐसी घिसी-पिटी बात का उपयोग कर सकती हूं तो यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रति हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने और सुरक्षा परिषद सुधार सहित सामान्य रूप से सुधारों पर केंद्रित चार्टर की समीक्षा करने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है।"
इसके साथ कंबोज ने आगे कहा कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल का मानना है कि बातचीत केवल हमें आगे तक ले जा सकती है और भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में ग्लोबल साउथ की आवाज को सुनने के लिए प्रयास करना जारी रखेगा।
कम्बोज ने कहा, "मेरे प्रतिनिधिमंडल का दृढ़ विचार है कि हम नई बोतलों में पुरानी शराब रखकर नए परिणामों की उम्मीद नहीं कर सकते हैं, जो कि व्यापक सुधार है। बतौर राजनयिक हम सभी जानते हैं कि देश अपनी स्थिति नहीं बदलते हैं , जब तक कि बातचीत के तरीके में हम वास्तविक और सार्थक आदान-प्रदान की संभावनाएं पैदा न करें।”
उन्होंने आगे कहा, "मैं आप सभी को याद दिला दूं कि भविष्य का शिखर सम्मेलन, इस अंतर-सरकारी वार्ता के विपरीत, वास्तव में एक अंतर-सरकारी वार्ता प्रक्रिया है। हमें वास्तविक होने की जरूरत है। भारत, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, आवाज बनने के लिए प्रयास करना जारी रखेगा कि तात्कालिकता के आधार पर ग्लोबल साउथ की बात सुनी जाए।"