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कलाम को मुस्लिम छात्रों का ‘रोल मॉडल’ बताने के लिए चलाई मुहिम, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जताई आपत्ति

By भाषा | Updated: October 21, 2018 19:10 IST

इस सवाल पर कि आखिर इस मुहिम की जरूरत क्यों पड़ी, अफजाल ने कहा कि हम मुस्लिम विद्यार्थियों के सामने इस बात को रखना चाहते हैं कि आखिर उनका रोल मॉडल कौन होगा.... कलाम या (आतंकवादी अजमल) कसाब?

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 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहयोगी संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने खासतौर से देश के मुसलमान विद्यार्थियों को, पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को एक ‘रोल मॉडल’ के तौर पर अपनाने के लिये प्रेरित करने के मकसद से मुहिम चलायी है। हालांकि ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एक वरिष्ठ सदस्य ने इस अभियान को अपमानजनक करार देते हुए कहा है कि हमेशा से मुल्क के लिये कुर्बानी देने वाले हिन्दुस्तानी मुसलमानों को अपनी देशभक्ति साबित करने की जरूरत नहीं है।

मंच के संयोजक मुहम्मद अफजाल ने आज टेलीफोन पर ‘भाषा’ को बताया कि उनके संगठन ने मुसलमान विद्यार्थियों में देशभक्ति की भावना को मजबूत करने और भविष्य में देश के प्रति अपने कर्तव्यों के निर्वहन के लिये दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को उनके सामने रोल मॉडल के तौर पर पेश करने का अभियान चलाया है।

कौन होगा रोल मॉडल कलाम या कसाब?

इस सवाल पर कि आखिर इस मुहिम की जरूरत क्यों पड़ी, अफजाल ने कहा कि हम मुस्लिम विद्यार्थियों के सामने इस बात को रखना चाहते हैं कि आखिर उनका रोल मॉडल कौन होगा.... कलाम या (आतंकवादी अजमल) कसाब? हम दोनों के बीच के अंतर को सबके सामने रखते हैं। उन्होंने यह भी कहा ‘‘कई बार मुसलमान कहीं ना कहीं कसाब की तरफ भटक जाते हैं। हम उन्हें कलाम की तरफ लाना चाहते हैं। इससे देश और समाज तरक्की करेगा।’’

ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना यासीन उस्मानी ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तथाकथित मुस्लिम संगठन से और क्या उम्मीद की जा सकती है। ये लोग ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को सामने रखकर चीजों को बेहतर नहीं बनाना चाहते, बल्कि यह जताना चाहते हैं कि मुस्लिमों के बारे में उनकी क्या राय है। वे मुसलमानों की नयी नस्ल को एहसास कराना चाहते हैं कि तुम किस पायदान पर खड़े हो।

उन्होंने कहा कि जिस कसाब को उसके मुल्क के मुसलमानों ने अपने यहां दफनाने की जगह नहीं दी, उसे वह अपना रोल मॉडल कैसे मान सकते हैं। हिन्दुस्तान की आजादी में मुसलमानों के योगदान को कभी फरामोश नहीं किया जा सकता। मुस्लिमों ने स्वतंत्रता की लड़ाई को धर्मयुद्ध की तरह लड़ा था। अब उनके देशप्रेम पर सवालिया निशान लगाने वाले अभियान शर्मनाक हैं।

मुहिम को लेकर 19 अक्टूबर को पहला सेमिनार

अफजाल ने बताया कि दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति कलाम को लेकर शुरू किये गये अभियान के तहत राष्ट्रीय स्तर पर संगोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है। इस सिलसिले में पहला सेमिनार गत 19 अक्टूबर को दिल्ली में हुआ था।

मंच संयोजक ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति कलाम सच्चे देशभक्त थे। मुहिम के तहत होने वाली संगोष्ठियों में कलाम के जीवन के संघर्ष और उनकी सफलता की गाथा पर चर्चा की जाती है, ताकि लोग प्रेरणा ले सकें। कलाम ने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का न्यौता ठुकराते हुए देश की सेवा की और पृथ्वी मिसाइल तथा स्पेस सेंटर बनाकर भारत को गौरवान्वित किया।

अफजाल ने बताया कि ‘एपीजे अब्दुल कलाम के सानिध्य में भारत का निर्माण’ की मुख्य थीम पर आयोजित होने वाले इन कार्यक्रमों को उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, मणिपुर समेत 10 प्रमुख राज्यों में आयोजित किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि इन कार्यक्रमों में वैसे तो सभी धर्मों के मानने वाले छात्र शामिल होते हैं, लेकिन खासकर मुस्लिम छात्रों को तरजीह दी जाती है। इनमें मदरसों से लेकर इंटर कॉलेज तक के विद्यार्थियों को आमंत्रित किया जाता है। हम सेमिनार में विद्वानों, विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और अफसरों को बुलाते हैं। यह संवादात्मक सत्र होता है। अफजाल ने कहा कि अगला सेमिनार लखनऊ में अगले महीने आयोजित करने का विचार है।

(मुहम्मद मजहर सलीम की रिपोर्ट)

टॅग्स :मुस्लिम लॉ बोर्डआरएसएस
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