मोदी सरकार नहीं कर सकी गंगा सफाई के लिए आवंटित 2600 करोड़ का इस्तेमाल: CAG
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: December 19, 2017 15:53 IST2017-12-19T15:40:02+5:302017-12-19T15:53:44+5:30
इस रकम को 31 मार्च 2017 तक खर्च किया जाना था।

मोदी सरकार नहीं कर सकी गंगा सफाई के लिए आवंटित 2600 करोड़ का इस्तेमाल: CAG
गंगा नदी के कायाकल्प के लिए मोदी सरकार द्वारा बनाई गई नमामी गंगे परियोजना को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। हाल ही में आई एक कैग की रिपोर्ट से पता चला है कि स्वच्छ गंगा मिशन के नाम पर आवंटित किए गए करीब 2600 करोड़ अब तक सरकार उपयोग ही नहीं कर सकी है। संसद में पेश की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक 'नेशनल मिशन' के तहत विभिन्न राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूह और एग्जीक्यूटिंग एजेंसियां/केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ गंगा की सफाई के लिए आवंटिंत 2133.76, 422.13 करोड़ और 59.28 करोड़ रुपये खर्च किए जाने थे, लेकिन हैरानी की बात यह है कि अब तक यह रकम उपयोग में ही नहीं लाई जा सकी है।
इस रकम को 31 मार्च 2017 तक खर्च किया जाना था। हाल ही में आई कैग की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 46 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स, इंटरसेप्शन और डायवर्सन प्रोजेक्ट्स के साथ नहर परियोजनाओं की लागत 5,111.36 करोड़ रुपये थी। इसके अलावा 2,710 करोड़ रुपये की लागत वाली 26 परियोजनाओं में देरी की गई।
बतां दे कि इससे पहरे केन्द्रीय जल संसाधन और नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने गंगा की सफाई को लेकर जानकारी देते हुए बताया था कि नमामि गंगे परियोजना के तहत बिहार को इस परियोजना के तहत राशि दी गई है, लेकिन वह राशि खर्च ही नहीं हो पाई है।
उन्होंने कहा था कि नमामि गंगे परियोजना के तहत गाद की भी सफाई होनी है। इस साल इस परियोजना के तहत बिहार में 25 अरब रुपये से ज्यदा खर्च होंगे। सुल्तानगंज, भागलपुर, मोकामा, बाढ़, दीघा, कंकड़बाग में वाटर ट्रीटमेंट प्लांटों का निर्माण होना है।
उन्होंने गंगा में गाद की समस्या पर चिंता जताते हुए कहा था, "गंगा के जल को शुद्ध करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। गंगा के अविरल होने पर ही गंगा जल शुद्ध रहेगा। नमामि गंगा परियोजना के तहत वानिकी और पौधरोपण गतिविधियां गंगा नदी के किनारे चलाई जा रही हैं जिससे भूस्खलन और नदी में सीवेज और औद्योगिक कचरा जमा होने से रोका जा सके।"
केंद्रीय मंत्री उमा भारती गंगा की सफाई को लेकर कितनी चिंतित है और मोदी सरकार अपने वादों को लेकर कितनी प्रतिबद्ध है इस बात का अंदाजा हाल ही में जारी हुई कैग इस रिपोर्ट को पढ़कर लगाया जा सकता है।