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ईडब्ल्यूएस आरक्षण के लिए संविधान संशोधन संबंधी कैबिनेट नोट, अनुलग्नक को सार्वजनिक करें : सीआईसी

By भाषा | Updated: March 26, 2021 14:34 IST

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(अभिषेक शुक्ला)

नयी दिल्ली, 26 मार्च केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने सरकार को 103वें संविधान संशोधन से संबंधित सभी प्रासंगिक पत्राचारों और अनुलग्नक के साथ कैबिनेट नोट को सार्वजनिक करने का निर्देश दिया है।

समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के 10 प्रतिशत आरक्षण के लिए यह संशोधन लाया गया।

आयोग ने केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के उस तर्क को ‘पूरी तरह अनुचित’ कहकर खारिज कर दिया जिसमें मंत्रिपरिषद, सचिवों तथा अन्य अधिकारियों के विचार-विमर्श से संबंधित रिकार्ड समेत कैबिनेट के दस्तावेजों को सार्वजनिक करने से छूट के लिए आरटीआई कानून की धारा 8(1)(आई) का हवाला दिया गया है।

उसने कहा कि आरटीआई कानून की उक्त धारा में प्रावधान है कि मंत्रिपरिषद के फैसलों, उसके कारणों, जिन चीजों के आधार पर फैसले लिये गये हैं, उन्हें फैसला लिये जाने के बाद और विषय पूरा होने के बाद सार्वजनिक किया जाएगा लेकिन मंत्रालय ने सूचना देने से मना कर दिया।

सूचना आयुक्त सरोज पुन्हानी ने कहा, ‘‘उक्त छूट का लाभ प्राप्त करने के लिए कोई उचित कारण नहीं दिया गया। बल्कि सीपीआईओ ने केवल आरटीआई आवेदन के अपने जवाब में धारा 8(1)(आई) के प्रावधानों का उल्लेख कर दिया। आयोग सीपीआईओ के इस आचरण को प्रतिकूल मानता है क्योंकि ऐसा लगता है कि उन्होंने आरटीआई कानून के तहत मामलों से निपटने के लिए सोच को नहीं अपनाया।’’

कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशियेटिव नामक संस्था के आवेदक वेंकटेश नायक ने सूचना नहीं देने को इस आधार पर चुनौती दी थी कि विधेयक पारित हो चुका है और राष्ट्रपति उस पर 12 जनवरी, 2019 को ही मुहर लगा चुके हैं, अत: कानून को लागू करने से संबंधित कोई मामला लंबित नहीं है।

नायक ने आयोग के समक्ष दलील दी, ‘‘आवेदक का मानना है कि संविधान संशोधन विधेयक के क्रियान्वयन से संबंधित विषय पूरा हो गया है। समाज के ईडब्ल्यूएस वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को लागू करने की प्रक्रिया भी जारी है।’’

उन्होंने 26 जून, 2012 को तत्कालीन सूचना आयुक्त शैलेश गांधी के एक आदेश का उल्लेख किया जिन्होंने सरकार को ऐसे सभी नये विधेयकों के लिए प्रस्ताव से संबंधित समस्त कैबिनेट नोट को सार्वजनिक करने का निर्देश दिया था जिन्हें संसद में पेश किया जाना है। सदन में विधेयक पेश किये जाने के सात दिन के अंदर जानकारी विभाग की वेबसाइट पर भी डालने को कहा गया था।

पुन्हानी ने सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) से अपीलकर्ता को सूचना देने में अवरोध पैदा करने पर अप्रसन्नता जताई।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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