नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में मतगणना जारी है। उत्तर प्रदेश में सात सीट पर मतदान हुआ था। मध्य प्रदेश पर सभी की निगाहें लगी हैं। यहां पर 28 सीट पर मतदान हुआ था। शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ चुनावी मैदान में है।
मध्य प्रदेश में 28 सीट पर मतगणना जारी है। शुरुआती रुझान में 18 सीटों पर BJP और 8 सीट पर कांग्रेस आगे हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा 5 और सपा दो सीट पर आगे हैं। कांग्रेस और बसपा का बुरा हाल है। यूपी की सात विधानसभा सीट पर वोटों की गिनती जारी है, इसमें से पांच सीटों पर बीजेपी आगे है। बांगरमऊ, देवरिया सदर, घाटमपुर. टूंडला और बुलंदशहर में बीजेपी को बढ़त है, जबकि अमरोहा की नौगांवा और जौनपुर की मल्हानी सीट पर सपा आगे है।
उत्तर प्रदेश की सात विधानसभा सीटों पर तीन नवंबर को हुए उपचुनाव के लिए मतगणना कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मंगलवार सुबह शुरू हो गयी। प्रदेश की सात सीटों पर तीन नवंबर को हुए उपचुनाव में 53 फीसदी वोटरों ने 88 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला ईवीएम में बंद कर दिया था।
जिन सीटों पर उपचुनाव हुआ था उनमें नौगांव सादात, टूंडला, बांगरमउ, बुलंदशहर, देवरिया, घाटमपुर और मल्हनी विधानसभा सीटें शामिल हैं। इनमें मल्हनी सीट पिछले विधानसभा चुनाव में सपा के खाते में गयी थी बाकी सीटों पर भाजपा का कब्जा था।
कोरोना वायरस महामारी के भय के बावजूद मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के तहत कुल 70.27 प्रतिशत मतदान हुआ। एक अधिकारी ने बताया कि इन 28 सीटों पर 2018 के विधानसभा चुनाव में 72.93 प्रतिशत मतदान हुआ था।
उपचुनाव में प्रदेश के 12 मंत्रियों सहित 355 उम्मीदारों के भाग्य का फैसला ईवीएम मशीनों में बंद हो गया है। प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि अंतिम आंकड़ों के अनुसार राज्य के 19 जिलों में 28 विधानसभा सीटों पर कुल 70.27 प्रतिशत मतदान हुआ। मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं जबकि वर्तमान में इसकी प्रभावी सदस्य संख्या 229 है क्योंकि 28 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा की बाद अक्टूबर माह में कांग्रेस के एक विधायक दमोह से राहुल लोधी विधानसभा से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हो गये।
वर्तमान में विधानसभा में भाजपा के 107 विधायक हैं और भाजपा को सदन में साधारण बहुमत का आंकड़ा 115 तक पहुंचने के लिये आठ सीटें और चाहिये। इस साल मार्च माह के बाद से कुल कांग्रेस के विधायकों के त्यागपत्र देने और भाजपा में शामिल होने के बाद सदन में कांग्रेस की संख्या घटकर 87 रह गयी है। 25 कांग्रेस के विधायकों के पाला बदलकर भाजपा में शामिल होने और तीन विधायकों के निधन के कारण प्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव कराया गया था।