दिल्ली: बुरका विवाद पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्विटर पर अल्पसंख्यक समाज को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की है।
इस मुद्दे पर काफी मुखरता से बोलने वाले सुब्रमण्यम स्वामी ने एक बार फिर अल्पसंख्यक समाज पर निशाना साधा है। सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट करते हुए लिखा है, "हिजाब विवाद देखने के बाद, जो मुस्लिम छात्र कक्षाओं का बहिष्कार कर रहे हैं और कह रहे हैं, पहले हिजाब फिर पढ़ाई। मैं ये सोच रहा हूं कि उनके दादाओं ने पाकिस्तान जाने की बजाए भारत में रहना क्यों चुना। वहां उन्हें बिना किसी दिक्कत के ‘हिजाब पहले’ मिल जाता।"
मालूम हो कि इससे पहले भी सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मसले पर अपनी राय देते हुए कहा था, "बुरका कुरान में कहीं लिखित तौर पर शामिल नहीं है। अगर कोई मुझे इस बात का लिखित प्रमाण देता है तो मैं सबसे पहले बुरके के मुद्दे पर उनके साथ खड़े रहने के लिए तैयार हूं। अगर ऐसा होता तो संसद में कई मुस्लिम महिलाएं साड़ी में प्रवेश करती हैं तो क्या इन महिलाओं ने धर्म का अपमान किया है।" वहीं सुब्रमण्यम स्वामी के साथ उनकी पार्टी के अन्य नेता भी बुरके के मुद्दे पर लामबंद हैं।
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह ने तो हिंदोस्तान में कॉमन सिविल कोड को लागू करने की मांग कर दी थी। वहीं उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी कहा था कि अगर बीजेपी उत्तराखंड में दोबारा चुनाव जीतती है तो वह सबसे पहले राज्य में कॉमन सिविल कोड को लागू करेंगे।
वहीं बुरके के पक्ष में झंडा बुलंद करने वालों में कांग्रेस और एआईएमआईएम सबसे आगे हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इसे पहनावे और खानपान की आजादी से जोड़ते हुए कहा था कि देश में लड़किया 'बिकनी' पहने, हिजाब पहने या फिर कोई भी कपड़े पहने, ये उनकी आजादी से जुड़ा मसला है और इस मामले में संविधान उन्हें इस बात की आजादी देता है।
एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन औवैसी ने इस मामले में जबरदस्त वकालत करते हुए यहां तक कह दिया था कि आने वाले वक्त में एक दिन ऐसा आयेगा कि बुरका पहनने वाली लड़की इस मुल्क की प्रधानमंत्री बनेगी। उन्होंने एक जनसभा में कहा कि मेरी बात को याद रखियेगा मैं जिंदा रहूं न रहूं लेकिन एक दिन ऐसा होकर रहेगा।
ओवैसी और कांग्रेस के अलावा भी अन्य दलों से हिजाब को लेकर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुल मिलाकर हिजाब एक ऐसा विवादास्पद मामला बन गया है कि इस मसले पर केवल देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी आवाजें उठ रही हैं।
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की ओर से भी हिजाब को लेकर मामले में कड़ी प्रतिक्रिया आ रही हैं। पाकिस्तान ने भारतीय राजनयिक को बुलाकर अपना विरोध भी दर्ज कराया था।
इसके साथ ही इस्लामिक संगठन ने भी मामले में चिंता जताते हुए विरोध किया था, लेकिन भारत सरकार की ओर से संगठन के बयान को भ्रामक और तथ्यों से परे बताते हुए खारिज कर दिया गया था।
कर्नाटक उडुपी जिले में पिछले महीने शुरू हुए हिजाब विवाद ने तब तूल पकड़ लिया जब एक कॉलेज ने कुछ मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनकर आने के कारण कैंपस में प्रवेश देने से मना कर दिया था। उसके बाद कर्नाटक से शुरू हुए इस हिजाब विवाद ने तेजी से पूरे देश को अपनी आगोश में ले लिया है।