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लॉकडाउन: BSF जवान की मां बेटे से मिलने के लिए 2,700 किलोमीटर की यात्रा कर 3 दिन में पहुंची राजस्थान

By भाषा | Updated: April 17, 2020 14:43 IST

कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश में 25 मार्च से लॉकडाउन है, जो 3 मई तक जारी रहेगा। इस दौरान देश में यातायात के सारे साधन बंद कर दिए गए हैं।

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ठळक मुद्देकुछ दिनों पहले एक स्कूल शिक्षिका अपने बेटे को लेने के लिए तेलंगाना से 1400 किलोमीटर की यात्रा करके आंध्र प्रदेश पहुंच गई थींलॉकडाउन में इस तरह कई लोगों के पैदल चलकर अपने परिजनों से मिलने की खबरें आई थी।

कोट्टायम/तिरुवनंतपुरम:  देश में कोरोना वायरस के मद्देनजर लागू बंद के बीच केरल की 50 वर्षीय एक मां अपने बीमार बेटे से मिलने के लिए एक कार से 2,700 किलोमीटर की यात्रा करके राजस्थान पहुंच गई। बीमार व्यक्ति बीएसएफ का जवान है और उनकी हालत नाजुक थी। महिला अपनी बहू और एक अन्य रिश्तेदार के साथ यह यात्रा तीन दिन में पूरी की। राजस्थान के जोधपुर से पीटीआई-भाषा से बात करते हुए शीलम्मा वासन ने बताया कि उनका 29 वर्षीय बेटा मांसपेशियों के उतक के सूजन मायोसिटीस से पीड़ित हैं और अब उनकी हालत में सुधार है।

उन्होंने कहा, ‘‘ भगवान की कृपा से हम यहां बिना किसी समस्या के पहुंच गए।’’ एम्स जोधपुर के एक मलयाली डॉक्टर ने परिवार को अरूण कुमार के हालत के संबंध में जानकारी दी थी। इसके बाद महिला और उनकी बहू ने केरल से यह यात्रा शुरू की और वह तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात से होते हुए राजस्थान पहुंचे। परिवार ने बताया कि केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन, केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन के कार्यालय, कांग्रेस नेता ओमान चांडी की सहायता से परिवार को पास मिला और उन्होंने यह यात्रा पूरी की।

जवान ने अपनी मां और पत्नी से मिलने की इच्छा जताई थी

विश्व हिंदू परिषद के स्वयंसेवकों ने परिवार को कैब और दो टैक्सी चालक मुफ्त में मुहैया कराया ताकि वह जोधपुर पहुंच सकें। कोट्टायम जिला कलक्टर पी के सुधीर बाबू ने जरूरी पास मुहैया कराया और इसके बाद सीलम्मा अपनी बहू पार्वतायंड और अन्य रिश्तेदार के साथ कोट्टायम से पंनाकाचिरा गांव से 11 अप्रैल को यात्रा शुरू की और 14 अप्रैल को जोधपुर पहुंच गई। जवान फरवरी में गांव आया था और वापस लौटने के बाद बीमार पड़ गया। जवान ने अपनी मां और पत्नी से मिलने की इच्छा जताई थी। जवान का एक साल का बच्चा केरल में ही है। इस यात्रा ने एक स्कूल शिक्षिका रजिया सुल्ताना की याद दिला जो अपने किशोर बेटे को लेने के लिए तेलंगाना से 1400 किलोमीटर की यात्रा करके आंध्र प्रदेश पहुंच गई थीं।

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