पाक-शास्त्र कौशल के जरिए रोल मॉडल बनीं बोडो महिलाएं

By भाषा | Updated: November 14, 2021 21:39 IST2021-11-14T21:39:03+5:302021-11-14T21:39:03+5:30

Bodo women became role models through culinary skills | पाक-शास्त्र कौशल के जरिए रोल मॉडल बनीं बोडो महिलाएं

पाक-शास्त्र कौशल के जरिए रोल मॉडल बनीं बोडो महिलाएं

(त्रिदीप लाहकर)

मानस (असम), 14 नवंबर असम के मानस राष्ट्रीय उद्यान के आस-पास के गांवों में रहने वाली महिलाओं के पतियों ने जब शिकार करने के खतरनाक काम को छोड़कर सामान्य तरीके से जिंदगी जीने का फैसला किया, तो इन महिलाओं ने अपना परिवार चलाने के लिए पारंपरिक बोडो व्यंजनों को बनाने के पाक-शास्त्र कौशल के जरिए धन राशि कमाकर एक शानदार उदाहरण प्रस्तुत किया है।

स्वदेशी बोडो समुदाय की इन महिलाओं का सफर आज दूसरों के लिए मिसाल बन गया है। अपने पतियों को मुख्यधारा में वापस लाने के बाद परिवार चलाने के लिए काम करने का उनका निर्णय अब अन्य समुदाय के सदस्यों द्वारा एक उदाहरण के रूप में पेश किया जा रहा है।

बांसबारी वन क्षेत्र में और उसके आस-पास की इन महिलाओं ने अपने पारंपरिक पाक कौशल का इस्तेमाल कर प्रसिद्ध मानस राष्ट्रीय उद्यान में आने वाले पर्यटकों के लिए पारंपरिक बोडो व्यंजन पकाने का काम शुरू किया, लेकिन उद्यमशीलता कौशल की गैर-मौजूदगी के कारण शुरू में यह प्रयास विफल रहा।

पाक-शास्त्र उद्यमी मिताली जी दत्ता को जब इन बोडो महिलाओं के प्रयासों के बारे में पता चला तो वह विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के साथ मिलकर इन गरीब महिलाओं को कुशल बनाने और बाजार में उनके उत्पाद को पहुंचाने में मदद करने के लिए आगे आईं।

दत्ता ने पीटीआई-भाषा से कहा, " मैं पहले से ही काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में इसी तरह की परियोजना में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के साथ काम कर रही थी, जब उन्होंने मानस के लिए मुझसे संपर्क किया। मैंने 2017 में बोडो महिलाओं के साथ काम करना शुरू किया और ग्राहकों के सामने व्यंजन पेश करने के तरीके के बारे में उन्हें सुझाव देना शुरू किया।"

उन्होंने बताया कि बोडो महिलाएं अपने व्यंजनों को सबसे अच्छी तरह से पकाना जानती हैं, इसलिए व्यंजनों को पकाने के लिए उन्हें कोई प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है, लेकिन यह सिखाया जाता है कि व्यंजन कितना परोसा जाना चाहिए, कैसे थालियों की व्यवस्था की जानी चाहिए और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे एक स्थायी व्यावसायिक मॉडल बनाने के लिए मूल्य निर्धारण को लेकर उन महिलाओं को जानकारी दी जाती है।

दत्ता ने कहा, "वन विभाग ने हमें बांसबारी शिकार निरोधक शिविर में जगह प्रदान कर हमारी मदद की। वहां विभिन्न ग्रामीण आते हैं और छोटे खाद्य स्टाल की स्थापना करते हैं। शुरुआत में 2018-19 में यह मॉडल विफल रहा क्योंकि कोई वित्तीय सहायता नहीं थी और महिलाओं में व्यापारिक योग्यता की कमी थी।”

उन्होंने कहा कि ये महिलाएं ग्रामीण पाक पर्यटन के क्षेत्र में काम कर रहे दो स्वयं सहायता समूहों, स्वंकर मिथिंगा ओंसाई अफत (एसएमओए) और सोमैना की सदस्य हैं। सोमैना आगंतुकों के लिए पारंपरिक बोडो नृत्य भी आयोजित करता है।

दोनों समूहों की महिलाएं 2018 में एक साथ आईं और मानस बसंत उत्सव के दौरान पारंपरिक एवं प्रामाणिक बोडो व्यंजनों तथा सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रदर्शित करने के लिए एक उद्यम 'गुंगजेमा किचन' स्थापित किया।

जहां गुंगज़ेमा किचन टीम ने उनके कौशल को बेहतर बनाने पर काम किया, वहीं दत्ता ने अपने स्वयं के स्थापित ब्रांड 'फूडसूत्र बाय मिताली' की मदद से बाहरी दुनिया में उनके व्यंजनों के ऑनलाइन प्रचार का ध्यान रखा।

मिताली दत्ता ने कहा, "उचित बाजार जुड़ाव और प्रभावी प्रचार के बिना, यह उद्यम शायद ही यात्रियों का ध्यान आकर्षित कर पाता। मैं यह सुनिश्चित करने के लिए सोशल मीडिया का सबसे अच्छा उपयोग करने की कोशिश करती हूं कि गुंगजेमा किचन सभी का ध्यान आकर्षित कर सके और किसी की नजर से चूक न जाए।"

गुंगज़ेमा किचन की सदस्य सेंटिना बसुमतारी, दत्ता के कठोर और नरम कौशल दोनों को सिखाने के प्रयासों की सराहना करती हैं।

सेंटिना ने कहा, "हमें इस तरह से एक उद्यम चलाने के बारे में कभी कोई विचार नहीं आया था। हम केवल घरेलू कामों के बारे में जानते थे। लेकिन मिताली बाइदेव (बहन) ने हमें अपने कौशल को बेहतर बनाने और लगातार तथा पेशेवर बनने के लिए कड़ी मेहनत करना सिखाया है।"

गुंगजेमा किचन के लाभार्थियों और कर्मचारियों में से एक भद्री ने पीटीआई-भाषा को बताया कि पहले अपना गुजारा चलाना भी उनके लिए चिंता का विषय था, लेकिन अब वे सभी कमा रहे हैं और आत्मनिर्भर हैं।

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Web Title: Bodo women became role models through culinary skills

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