आज देश ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी में से एक भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद की जेपी नड्डा की ताजपोशी हो गई है। देश के सत्ताधारी पार्टी के इस शीर्ष पद पर पहुंचने वाले नड्डा देश के कई राज्यों में पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच खून-पसीना बहाकर यहां तक पहुंचे हैं। नड्डा के राजनीतिक सफर में कई सारे उतार-चढ़ाव आए, लेकिन उन्होंने समर्पित होकर पार्टी के लिए काम किया है। यही वजह है कि अमित शाह के बाद नड्डा निर्विरोध तरह से पार्टी के अध्यक्ष चुने गए हैं। आइए नड्डा के राजनीतिक सफर के बारे में जानते हैं-
नड्डा का हिमाचल व बिहार-झारखंड कनेक्शनजेपी नड्डा भले ही मूल रुप से हिमाचली हैं, लेकिन बिहार व झारखंड से भी इनका काफी गहरा जुड़ाव रहा है। सही मायने में देखा जाए तो नड्डा की राजनीतिक सफर की शुरुआत बिहार से ही हुई है। जेपी नड्डा 1977 से 1979 तक रांची में रहे। उनके पिता रांची विश्वविद्यालय के कुलपति व पटना विवि के प्रोफेसर रहे। 1975 में जेपी आंदोलन में भाग लेने के बाद जगत प्रकाश नड्डा बिहार में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हुए। 1977 में छात्र संघ का चुनाव लड़ा और सचिव बने थे।पटना के बाद हिमाचल से मिला पॉलिटिकल माइलेजआपको बता दें कि पटना से स्नातक के बाद नड्डा ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की। 1983 में पहली बार हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव में वह विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष चुने गए थे। इसके बाद पहली बार 1993 में हिमाचल प्रदेश में ही नड्डा विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे थे। 1993 से 2002 तक नड्डा लगातार हिमाचल विधानसभा सदस्य के रुप में बने रहे। इस दौरान हिमाचल सरकार में नड्डा को कैबिनेट मंत्री का पद भी मिला। धूमल सरकार में भी उन्होंने कई अहम मंत्रालय संभाला था।
1991 से ही नड्डा मोदी के करीबी हैं1991 में जिस समय जेपी नड्डा भाजपा के युवा मोर्चा के सर्वोसर्वा थे, उसी समय मोदी पार्टी के महासचिव थे। दोनों इसी दौरान एक दूसरे के संपर्क में आए। यहां से धीरे-धीरे इनका दोस्ती मजबूत होते गई। इसके बाद पार्टी में जैसे-जैसे मोदी आगे पहुंचे, उसी रफ्तार से नड्डा को भी नई जिम्मेदारी मिलीं।
नरेंद्र मोदी सरकार में मिला मंत्रालयजेपी नड्डा 2012 में पहली बार राज्यसभा सदस्य चुने गए थे। इसके बाद एक तरह से देखा जाए तो राष्ट्रीय राजनीति में उनकी एंट्री हो गई थीं। नरेंद्र मोदी सरकार बनी तो वह इस सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी बने। इसके अलावा, 2019 में जब मोदी सरकार दोबारा सत्ता में आई और शाह को कैबिनेट में गृह मंत्री का ओहदा दिया गया। लेकिन सवाल यह था कि आखिर पार्टी कौन संभालेगा। एक बार फिर से पीएम मोदी ने नड्डा पर भरोसा जताया और वह जुलाई, 2019 में स्वास्थ्य मंत्रालय छोड़ संगठन में कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर आ गए।