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रामपुर में जीत पर खतौली और मैनपुरी में हार, योगी को नए सिरे से सजाने होंगे अपने सियासी तरकश के तीर!

By राजेंद्र कुमार | Updated: December 9, 2022 16:53 IST

यूपी में हुए उपचुनाव में भाजपा रामपुर में ऐतिहासिक जीत हासिल करने में कामयाब रही लेकिन मैनपुरी और खतौली में तमाम प्रयास के बावजूद सफलता नहीं मिली. इसने पार्टी को होने वाले निकाय चुनावों के लिए नए सिरे से तैयारी करने और योजनाओं पर काम करने के लिए मजबूर कर दिया है.

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ठळक मुद्देमैनपुरी और खतौली की हार से योगी और भाजपा को लगा है झटका।हार के कारणों को जानकर नए सिरे से बनेगी निकाय चुनाव की रणनीति।उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव जनवरी के पहले और दूसरे सप्ताह तक कराए जाएंगे।

लखनई: उत्तर प्रदेश के सर्द मौसम हो रहे मौसम में तीन उपचुनावों के नतीजों ने सियासी हलकों में गर्माहट ला दी है. क्योंकि तमाम प्रयास और संसाधनों को झोकने के बाद भी योगी सरकार मैनपुरी लोकसभा और खतौली विधानसभा सीट अपनी झोली में डालने में सफल नहीं हुई. सिर्फ रामपुर विधानसभा सीट वह जीत सकी. 

राज्य में हुए इन उपचुनावों में भगवा खेमे की सामाजिक समीकरणों को समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) गठबंधन में परवान नहीं चढ़ने दिया. ऐसे में अगले माह होने वाले निकाय चुनावों में भगवा खेमे के सामाजिक समीकरण फेल ना होने पाए इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने सियासी तरकश नए सिरे से तराशने में जुट गए हैं, ताकि निकाय चुनाव में विपक्षी दलों के हमलों की भुथरा साबित किया जा सके.  गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव जनवरी के पहले और दूसरे सप्ताह तक कराए जाएंगे. वर्ष 2017 के निकाय चुनाव के बाद कुछ निकायों में पहली बैठक 15 जनवरी तक होने के कारण राज्य निर्वाचन आयोग को अगले वर्ष 15 जनवरी तक चुनाव कराना है. 

ऐसे में प्रदेश में 545 नगर पंचायतों, 200 नगर पालिका परिषद और 17 नगर निगम सहित 762 नगरीय निकायों में चुनाव होना है. इस चुनावों को सभी दल बेहद गंभीरता से लेते है. ऐसे में इन चुनावों के पहले हुए मैनपुरी लोकसभा और खतौली विधानसभा सीट पर हुई पराजय सत्ताधारी योगी सरकार तथा भाजपा के लिए झटका मानी जा रही है. 

रामपुर विधानसभा सीट पर भले ही भाजपा जीती है, लेकिन उपचुनावों में विरासत बचाने के सपाई दांव ने भगवा खेमे के सामाजिक समीकरण साधने की जुगत परवान नहीं चढ़ने दी. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले की खतौली सीट पर मिली हार तो भाजपा के लिए चिंता का सबब बन गई है. 

मुजफ्फरनगर की छह में से चार सीटें भाजपा विधानसभा चुनाव में ही हार गई थी.अब  खतौली की खता ने जिले की पांचवीं सीट भी भाजपा से छीन ली. ऐसे में अब समूचे पश्चिम यूपी में सपा रालोद गठबंधन की पकड़ मजबूत हो गई है. यह भाजपा के लिए आने वाले समय में संकट का सबब बनेगा क्योंकि इस गठबंधन के साथ अब भीम आर्मी के चन्द्रशेखर भी जुड़ गए हैं. 

इस वजह से सपा -रालोद का जाट, गुर्जर, दलित और मुस्लिम समीकरण अगले माह होने वाले निकाय चुनाव में भाजपा के लिए नई चुनौतियां खड़ी करेंगा. इसका संज्ञान लेते हुए योगी सरकार और भाजपा संगठन मैनपुरी तथा खतौली में हुई हार के कारणों को जानने में जुट गया है. 

यूपी की यादव लैंड और जाट लैंड में भाजपा को निकाय चुनाव और आगामी 2024 के लोकसभा चुनावों में अपना परचम फहराने के लिए यह जानना जरूरी भी है, ताकि खामियों की जानकारी कर उसके हिसाब से अपना तरकश नए तीरों से सुसज्जित किया जा सके. अब इस मुहिम में योगी सरकार जुट गई है. 

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