पटनाः पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पटना साहिब के सांसद रविशंकर प्रसाद ने जर्मनी दौरे के दौरान जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वेडफुल से मुलाकात की। इस मुलाकात में आतंकवाद और आर्थिक विकास पर चर्चा हुई। इस अवसर पर जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वेडफुल ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की भर्त्सना किया उन्होंने पहले भी इस क्रूरता भरी आतंकवादी हमले की भर्त्सना किया था। इस दौरान रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आतंकवाद लोकतंत्र, मानवता और मानवाधिकार के लिए हानिकारक है।
उन्होंने पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद पर चिंता व्यक्त की और कहा कि इसके खिलाफ लोकतंत्र में विश्वास करने वाले देशों को एकजुट होने की आवश्यकता है। पाकिस्तान के द्वारा प्रायोजित आतंकवाद को वहां के मिलिट्री शासक समर्थन करते है और आर्थिक मदद करते है जिनके पास असली शक्ति है।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पाकिस्तान के आजादी के इतिहास में लगभग 55 वर्ष मिलिट्री का शासन है। अयूब खान, याह्या खान, मुहम्मद ज़िया-उल-हक, परवेज मुशर्रफ, असीम मुनीर और इनका पब्लिक स्टेटमेंट है कि हिन्दू और मुस्लिम साथ नहीं रह सकते है। मुस्लिम की अपेक्षा अलग है और महत्वाकांक्षा अलग है, पाकिस्तान के जनरल जिहादी भाषा का प्रयोग करते है।
उन्होंने कहा कि आज दुनिया को यह समझना पड़ेगा कि ऐसे लोगों को आईएमएफ या कोई अन्य संगठन सहयोग करते है वे चीन से हथियार खरीदने में और आतंकवाद को बढ़ावा देने में उपयोग करते है क्योंकि ये जनरल न चुने हुए है कोई जवाबदेही है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दुनिया में कही भी आतंकवादी घटना होती है उसकी जड़े पाकिस्तान में होती है।
ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में पकड़ा गया, 9/11, 26/11, लंदन में आतंकवाद की घटना इन सभी में या तो पाकिस्तान आतंकवादी संलिप्त रहते है या पाकिस्तान के टेरेरिस्ट कैंप के प्रशिक्षित आतंकवादी रहते है। रविशंकर प्रसाद ने जर्मनी के साथ आर्थिक संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जर्मनी दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था है और भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
डिजिटल इंडिया, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्पेस टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप के माध्यम से भारत बड़ी ताकत बना है। उन्होंने कहा कि जर्मनी और भारत के बीच आर्थिक संबंधों को और मजबूत करने की आवश्यकता है। जिसको विदेश मंत्री ने बहुत सराहा। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जर्मनी में स्किल्ड लेबर, सेमी स्किल्ड लेबर, स्टूडेंट्स, रिसर्चर और नर्स की मांग बढ़ी है। जर्मनी भारत पर विश्वास करता है और भारतीयों के लिए अवसर प्रदान कर रहा है।