नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। गोंडा जिले से सांसद बृजभूषण सिंह पर अवैध खनन का आरोप लगा है जिसकी जांच एनजीटी पैनल करेगी।
बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के कुछ गांवों में अवैध खनन को लेकर याचिका दायर की गई जिसके बाद भाजपा सांसद की मुश्किलें और बढ़ सकती है। इस याचिका में लगाए गए आरोपों की जांच के लिए एनजीटी पैनल का गठन किया गया है।
हालांकि, इन आरोपों पर बृजभूषण शरण सिंह ने अपनी सफाई देते हुए इसे झूठा करार दिया है। आरोपों के सामने आने के बाज बीजेपी सांसद ने प्रतिक्रिया दी है। गुरुवार को उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्होंने अवैध खनन का कोई काम नहीं किया और मामले से उनका लेना-देना ही नहीं है।
बृजभूषण शरण सिंह ने क्या कहा?
कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख बृजभूषण सिंह ने अपने ऊपर लगे अवैध खनन के आरोपों पर कहा, "मेरे परिवार या मेरा अवैध खनन से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है। यह झूठी खबर है... घटना फर्जी और झूठी है।
गौरतलब है कि याचिका में आरोप लगाया गया कि कैसरगंज से सांसद सिंह द्वारा जिले के तरबगंज तहसील के माझारथ, जैतपुर और नवाबगंज गांवों में अवैध खनन किया जा रहा था।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि हर दिन 700 से अधिक की संख्या में ओवरलोडेड ट्रकों द्वारा निकाले गए लघु खनिजों का अवैध परिवहन, लगभग 20 लाख घन मीटर के लघु खनिजों का भंडारण और अवैध बिक्री और ओवरलोडेड ट्रकों द्वारा पटपड़ गंज पुल और सड़क को नुकसान पहुंचाया गया।
याचिका पर कोर्ट में हुई सुनवाई
इस मामले को लेकर बुधवार को कोर्ट में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने कहा कि पहली नजर में आवेदन में दिए गए कथन पर्यावरण से संबंधित प्रश्न उठाते हैं।
आवेदन में दिए गए कथनों के मद्देनजर, हम इसे उचित मानते हैं तथ्यात्मक स्थिति को सत्यापित करने और उचित उपचारात्मक कार्रवाई करने के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया जाए।
गौरतलब है कि ट्रिब्यूनल ने एक संयुक्त समिति का गठन किया जिसमें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी), उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण (यूपीपीसीबी) और जिला मजिस्ट्रेट, गोंडा शामिल थे।
इस समिति को एक हफ्ते के भीतर बैठक करने, साइट का दौरा करने, आवेदक की शिकायतों पर गौर करने, आवेदक और संबंधित परियोजना प्रस्तावक के प्रतिनिधि को जोड़ने, तथ्यात्मक स्थिति को सत्यापित करने और उचित प्रक्रिया का पालन करके उचित उपचारात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।