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हिमाचल चुनाव विद्रोहियों के कारण हारी भाजपा, 18 सीटों पर खड़े थे विद्रोही, 10 पर उन्हें मिले वोट कांग्रेस के जीत के अंतर से अधिक

By शरद गुप्ता | Updated: December 16, 2022 19:06 IST

यदि पार्टी अपने विद्रोहियों को मनाने में सफल हो जाती तो विधानसभा में उसके सदस्यों की संख्या 25 नहीं 35 होती और वह अपनी सरकार बचाने में कामयाब हो जाती।

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ठळक मुद्देकुल 68 सीट वाली विधानसभा में 18 सीटों पर भाजपा विद्रोही खड़े थेइन्होंने 10 सीटों पर पार्टी के अधिकारिक उम्मीदवारों की हार सुनिश्चित कर दीभाजपा के सरकार गंवाने के बाद कब पार्टी नेताओं में एक दूसरे के सिर हार का ठीकरा फोड़ने का दौर शुरु

नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से कहीं अधिक भाजपा को उसके अपने नेताओं ने हराया, जो पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ बतौर निर्दलीय लड़े। कुल 68 सीट वाली विधानसभा में 18 सीटों पर भाजपा विद्रोही खड़े थे। इन्होंने 10 सीटों पर पार्टी के अधिकारिक उम्मीदवारों की हार सुनिश्चित कर दी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक विद्रोही उम्मीदवार कृपाल परमार को अपना नामांकन वापस लेने के लिए किया गया फोन का वीडियो वायरल हो गया था। यदि पार्टी अपने विद्रोहियों को मनाने में सफल हो जाती तो विधानसभा में उसके सदस्यों की संख्या 25 नहीं 35 होती और वह अपनी सरकार बचाने में कामयाब हो जाती।

जिन 10 सीटों पर भाजपा अपने विद्रोहियों की वजह से हारी वहां विद्रोही उम्मीदवारों को मिला वोट भाजपा के आधिकारिक उम्मीदवार के हार के अंतर से कहीं अधिक रहा। उदाहरण के लिए कुल्लू विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी के विद्रोही उम्मीदवार राम सिंह को 11790 वोट मिले और पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार नरोत्तम सिंह कांग्रेस के सुंदर सिंह ठाकुर से 4103 वोट से हार गए।

इसी तरह ठियोग विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी की विद्रोही उम्मीदवार इंदु वर्मा बतौर निर्दलीय लड़ते हुए 13635 वोट पाने में सफल रही और भाजपा के आधिकारिक उम्मीदवार अजय श्याम को 13809 वोट ही मिले और वे कांग्रेस के कुलदीप सिंह राठौर से 5500 वोट से हार गए। 

ऐसा ही नालागढ़ सीट पर हुआ जहां भाजपा के विद्रोही उम्मीदवार के एल ठाकुर बतौर निर्दलीय लड़े और 35053 वोट पाकर कांग्रेस के हरविंदर सिंह बाबा को 13270 वोटों से हराने में कामयाब रहे। भाजपा के आधिकारिक उम्मीदवार लखविंदर सिंह राणा को केवल 17008 वोट ही मिले और उन्हें तीसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ा।

किन्नौर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के आधिकारिक उम्मीदवार सूरत नेगी को 13515 वोट मिले लेकिन वे कांग्रेस के जगत सिंह नेगी (20208 वोट) से 6693 वोट से हार गए। यहां भी भाजपा के विद्रोही उम्मीदवार तेजवंत सिंह नेगी ने बतौर निर्दलीय 8412 वोट पाकर पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार की हार सुनिश्चित कर दी।

इसी तरह इंदौरा सीट पर कांग्रेस के मानवेंद्र राजा ने 30421 वोट पाकर भाजपा की रीता देवी को 2242 वोट से हरा दिया। यहां भी भाजपा के विद्रोही उम्मीदवार मनोहर लाल धीमान को 4394 वोट मिले। धर्मशाला में भाजपा के विद्रोही उम्मीदवार विपिन सिंह लहरिया को 7416 वोट मिले जो कांग्रेस उम्मीदवार सुधीर शर्मा के  3285 वोट के जीत के अंतर से कहीं अधिक थे। 

भाजपा में छिड़ा दोषारोपण युद्ध

भाजपा के सरकार गंवाने के बाद कब पार्टी नेताओं में एक दूसरे के सिर हार का ठीकरा फोड़ने का दौर शुरु हो गया है। जहां पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा का खेमा हार के लिए केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर को जिम्मेदार बता रहा है तो ठाकुर खेमे का कहना है कि उन्होंने हमीरपुर और बिलासपुर जिलों में 135 चुनावी सवाई की जबकि नड्ढा अपने जिले से बाहर निकले ही नहीं।

टॅग्स :हिमाचल प्रदेश चुनाव 2022BJPकांग्रेस
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