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भाजपा ने छत्तीसगढ़ के लिए 64 और उम्मीदवारों की घोषणा की, रमन सिंह राजनांदगांव से लड़ेंगे चुनाव

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 9, 2023 17:18 IST

भाजपा ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को राजनांदगांव सीट से फिर से उम्मीदवार बनाया है। छत्तीसगढ़ विधानसभा में 90 सीट हैं। छत्तीसगढ़ में दो चरणों में सात एवं 17 नवंबर को मतदान होगा, जबकि मतों की गिनती तीन दिसंबर को होगी।

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ठळक मुद्देभाजपा ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए 64 उम्मीदवारों की सूची जारी कीछत्तीसगढ़ में दो चरणों में सात एवं 17 नवंबर को मतदान होगामतों की गिनती तीन दिसंबर को होगी

Assembly Elections 2023: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के आगामी विधानसभा चुनाव के लिए 64 उम्मीदवारों की एक और सूची जारी कर दी। पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को राजनांदगांव सीट से फिर से उम्मीदवार बनाया है। छत्तीसगढ़ विधानसभा में 90 सीट हैं। भाजपा ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए 21 सीट पर उम्मीदवारों की घोषणा पहले ही कर दी थी। इनमें से अधिकांश पंचायत निकायों के प्रतिनिधि हैं, जो दर्शाता है कि पार्टी पुराने चेहरों की जगह दूसरे स्तर के नेताओं के साथ चुनावी लड़ाई के लिए कमर कस रही है।

पार्टी की ओर से जारी ताजा सूची के मुताबिक, पार्टी ने एक केंद्रीय मंत्री सहित तीन सांसदों को भी चुनाव मैदान में उतारा है। सरगुजा से सांसद व केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह को भरतपुर-सोनहत सीट से, रायगढ़ की सांसद गोमती साय को पत्थलगांव से और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और बिलासपुर से सांसद अरुण साव को लोरमी सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णु देव को कुनकुरी से टिकट दिया है। पूर्व आईएएस अधिकारी ओ पी चौधरी को रायगढ़ से उम्मीदवार बनाया गया है। चंद्रपुर विधानसभा सीट से पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप सिंह जूदेव के परिवार की सदस्य संयोगिता सिंह जूदेव को उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने किसी एक व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश किए बिना सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की घोषणा की है।

छत्तीसगढ़ में दो चरणों में सात एवं 17 नवंबर को मतदान होगा, जबकि मतों की गिनती तीन दिसंबर को होगी। छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के नेतृत्व में 15 साल तक राज्य की सत्ता पर काबिज रही भाजपा को 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था। सत्ता विरोधी लहर के अलावा, भ्रष्टाचार के आरोप, पार्टी संगठन और उसके नेतृत्व वाली सरकार के बीच समन्वय की कमी और अन्य पिछड़ा वर्ग द्वारा कांग्रेस के पक्ष में मतदान करना पांच साल पहले उसकी हार के कुछ प्रमुख कारणों में से एक माना गया था। वर्ष 2018 के चुनाव में भाजपा ने संख्या के आधार पर प्रभावशाली अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के साहू समुदाय से आने वाले 14 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, लेकिन उनमें से 13 को हार का सामना करना पड़ा था। 

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