डिब्रूगढ़ः पूर्व केंद्रीय मंत्री और असम के नागांव संसदीय क्षेत्र से चार बार सांसद रहे राजेन गोहेन ने बृहस्पतिवार को 17 अन्य सदस्यों के साथ पार्टी से इस्तीफा दे दिया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। भाजपा की असम इकाई के अध्यक्ष दिलीप सैकिया को लिखे एक पत्र में गोहेन ने कहा कि वह पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं और तत्काल प्रभाव से पार्टी की सभी जिम्मेदारियों से हट रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि 17 अन्य भाजपा सदस्यों ने भी सैकिया को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इनमें से अधिकतर ऊपरी और मध्य असम से हैं।
गोहेन ने कहा कि उन्होंने इस्तीफा इसलिए दिया क्योंकि पार्टी ‘‘असम के लोगों से किए गए वादों को पूरा करने में विफल रही और बाहरी लोगों को राज्य में बसने की अनुमति देकर जातीय समुदायों के साथ विश्वासघात किया।’’ उन्होंने पार्टी के राज्य नेतृत्व पर ‘सांप्रदायिक राजनीति को बढ़ावा देने और सदियों पुराने असमिया समाज को विभाजित करने’ का भी आरोप लगाया।
गोहेन ने 1999 से 2019 तक चार कार्यकाल तक नागांव संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और 2016 से 2019 तक वह केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रहे। गोहेन ने गुवाहाटी स्थित पार्टी मुख्यालय में अपना पत्र सौंपा। प्रदेश अध्यक्ष वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ भाजपा की केंद्रीय समिति और पदाधिकारियों की बैठक में भाग लेने के लिए इस समय डिब्रूगढ़ में हैं।
हालांकि, डिब्रूगढ़ में मौजूद सैकिया ने यह नहीं बताया कि इस्तीफा स्वीकार किया गया है या नहीं। गोहेन ने कहा कि उनका पार्टी से मोहभंग हो गया है, क्योंकि पार्टी ने मूल निवासियों से किये गए वादों को पूरा नहीं किया है। उन्होंने दावा किया, ‘‘राज्य में मौजूदा भाजपा नेतृत्व ने स्थानीय असमिया लोगों की जमीन और संसाधनों की कीमत पर बाहरी लोगों को बसने की अनुमति दी।’’
गोहेन ने अवैध आव्रजन के विवादास्पद मुद्दे पर सरकार के दृष्टिकोण की आलोचना की, जो भाजपा के पहले के अभियानों का एक केंद्रीय मुद्दा था। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘सरकार ने वादा किया था कि 16 मई 2014 के बाद असम में एक भी बांग्लादेशी नहीं रहेगा, लेकिन लगातार नई-नई तरकीबों के जरिए वह बांग्लादेशियों को ला रही है।’’
गोहेन ने कहा कि राज्य के छह मूल समुदायों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा न देना विवाद का एक प्रमुख मुद्दा है। पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया कि पार्टी छोड़ने का एक प्रमुख कारण यह था कि वर्तमान नेतृत्व ने अपने समर्पित जमीनी कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर दिया है।
पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए अपनी जवानी कुर्बान करने वाले समर्पित कार्यकर्ताओं को उचित सम्मान नहीं दिया, यहां तक कि 2016 में राज्य में सरकार बनने के बाद भी। असम विधानसभा के लिए अगले साल चुनाव होने वाले हैं।